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इलाज ; '' निम्न रक्तचाप '' कारण और निवारण
चिकित्सा विशेषज्ञों ने सामान्य व्यक्ति का रक्तचाप 120 /80 माना है | जनसाधारण की भाषा में इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि , किसी भी व्यक्ति का अधिकतम रक्तचाप 120 से अधिक नहीं होना चाहिए | इसी प्रकार निम्न रक्तचाप भी 80 के नीचे नहीं होना चाहिए। परंतु जब ऊपरी और निचले रक्तचाप का मान 90 /60 से कम हो जाता है , तब व्यक्ति को निम्न रक्तचाप की शिकायत होती है | इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि। ऊपरी स्तर पर 90 से 120 , तथा निचले स्तर पर 7 0 से 80 होना सामान्य रक्तचाप का स्तर होता है | अगर रक्तचाप का मान इससे ऊपर है तो वहां उच्च रक्तचाप तथा हाइपरटेंशन का स्तर माना जाता है |
सावधानी और समझदारी
रक्तचाप के विषय में अब तक हुए परीक्षणों और अनुसंधानों से यह बात सामने आई है कि , कभी कभार तो रक्तचाप का कम हो जाना आम बात है | परंतु यदि लंबे समय तक ब्लड प्रेशर कम रहे , अथवा बार-बार कम होता रहे , तब यह किसी बड़ी परेशानी का प्रतीक होती है , इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह समय समय पर अपने BP की जांच कराता रहे | जांच और परीक्षणों में यदि BP की शिकायत मिले , तो तुरंत वक्त से पहले संभलना ही समझदारी होता है अर्थात अविलम्ब ही चिकित्सा करवाने का प्रयास प्रारम्भ कर देना चाहिए |
रक्तचाप कम होने के कारण
प्रायः ऐसा देखने में आता है कि , लोग सामान्य शारीरिक परिवर्तन के कारणों को नजरअंदाज कर देते हैं , बाद में कभी कभी यह सामान्य कारण ही एक बड़ी समस्या बन जाते हैं , जैसे कि हृदय रोगियों मै निम्न रक्तचाप के लक्षण मिलना आम बात है , परंतु सामान्य अवस्था में जब लोगों द्वारा इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है , तब तो बाद मे यह एक विकट समस्या बन जाता है | इसके अतिरिक्त हार्मोन का असंतुलन तथा शरीर में कुछ तत्वों जैसे - कैल्शियम , सोडियम , पोटेशियम आदि की कमी हो जाना आदि ऐसे कारण हैं | जब ऐसे कारक उपस्थित हो जाते हैं , तब निम्न रक्तचाप की स्थिति बनती है | शरीर की मुद्रा , तनाव का स्तर , अनियमित रूप से एलोपैथिक दवाओं का खानपान , अनियमित भोजन और नींद की कमी आदि , कुछ ऐसे कारण हैं , जिनसे शरीर में पानी की कमी हो जाती है | इसके उपरांत निम्न रक्तचाप की स्थिति भी बन जाती है |
विशेष कारण
शरीर में पोषक तत्वों जैसे - विटामिन बी 1 , बी 2 और आयरन आदि की लंबे समय तक कमी होने पर रोगी मे निम्न रक्तचाप के लक्षण प्रकट होने लगते हैं | गंभीर चोटों के लग जाने से , ज्यादा खून बहने पर अथवा अंदरूनी रक्तश्राव होने पर भी BP अचानक तेजी से कम होने लगता है | मानव शरीर के लिए सोडियम एक जरूरी इलेक्ट्रोलाइट है , जो शरीर की कोशिकाओं के आसपास पानी का लेवल बनाए रखती है | यदि शरीर मे सोडियम की कमी हो जाय तब भी ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है | अतः शरीर में पानी की कमी हो जाने पर खाने में नमक की मात्रा बढ़ा देना चाहिए |
साधारण इलाज
निम्न रक्तचाप की शिकायत होने पर आदमी को थोड़ा सा नमक और शक्कर मिलाकर खूब पानी पीना चाहिए | रोगी को चाहिए कि दिन में दो बार चुकंदर के जूस का भी सेवन करें | तुलसी के अर्क का सेवन भी रक्तचाप को ठीक करने में मददगार होता है | नींबू पानी और टमाटर का रस तथा काली मिर्च और नमक का पानी लेते रहने से भी निम्न रक्तचाप की शिकायत ठीक हो जाती है |
इलाज से पूर्व की सावधानियां
आयुर्वेदिक इलाज करने से पूर्व रोगी को अपनी जीवनशैली में बदलाव अवश्य करना चाहिए , जैसे भोजन में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए | सुबह उठने पर अगर आपको लगे कि निम्न रक्तचाप है तो बिस्तर पर से खड़े होने से पूर्व अपने पैर और एड़ियों को जमीन पर पंप की तरह चलाएं , तथा भारी वजन न उठाएं , थोड़े थोड़े अंतराल पर कुछ खाते रहे , अधिक शारीरिक श्रम न करें | अगर हो सके तो तैराकी और हल्के व्यायाम भी करें |
आयुर्वेदिक इलाज
प्रातः काल बिस्तर से उठने के बाद अपनी नित्यक्रिया करें , फिर टहलने निकल जाए | घर वापस लौट कर , पहले से बनाकर रखी गई आयुर्वेदिक औषधि सर्पगंधा के महीन , कपड़छन चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा ताजे पानी के साथ सेवन करें | इसके अलावा रात्रि को जब शयन करने जाएं , तब भी इस औषधि की 2 ग्राम की मात्रा ताजे पानी के साथ सेवन करना शुरू कर दें | इसे कुछ दिनों तक प्रयोग करें , उसके बाद अपना चिकित्सीय परीक्षण अवश्य करा लें | लगभग 15 दिनों के सेवन के उपरांत , आपको निम्न रक्तचाप की परेशानी से पूर्ण लाभ मिल चुका होगा | रक्तचाप के विषय में यह एक बात गांठ बांध कर याद कर ले कि , प्रतिदिन प्रातः काल लगभग 6 या 8 किलोमीटर पैदल चलने वाले को रक्तचाप की शिकायत हो ही नहीं सकती है | इसलिए रक्तचाप के रोगी को चाहिए कि वह '' रोगी होने पर '' तथा '' निरोगी होने पर '' भी इस नियम का पालन अवश्य करे , और अपने आप को रक्तचाप की परेशानी से सदा सदा के लिए दूर रखें |
जय आयुर्वेद
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