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नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

[14 ] उपासना

web - gsirg.com [14 ] उपासना हमारी यह पृथ्वी , जिस पर हम निवास करते हैं , आज से लगभग अरबो वर्ष पूर्व निर्मित हुई थी | इस काल को हम '' अनादिकाल ' कह सकते हैं | इसके बाद ही '' आदिकाल '' का नंबर आता है | हमारे देश के लोगों का प्राचीन धर्म '' वैदिक धर्म '' रहा है | आदि काल से लेकर अब तक इस वैदिक धर्म मे अनेकों विद्वान , ऋषि मुनि और मनीषी हुए हैं , जिन्होंने संसार का कल्याण करते हुए , अपना सारा जीवन व्यतीत किया है , परंतु उनका अपना जीवन कैसा रहा है , यह जानने के लिए हमें काफी पीछे समय का अवलोकन करना होगा | वैदिक ऋषि परोपकारी कार्यों मे लिप्त होने से पूर्व , अपने जीवन का परिष्कार करते थे | इसके लिए वह अनेकों प्रकार के धार्मिक कार्यों का अनुष्ठान किया करते थे | इन धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों को संपन्न करके वह लोग जब संपूर्णता को प्राप्त कर लेते थे | जीवन की संपूर्णता प्राप्त करने के लिए वह जीवन में अनेकों प्रकार के कार्य किया करते थे | इन धार्मिक कार्यों में , ' उपासना क्या है ' प्रत्येक साधक व्यक्ति को , यह जानना अति आवश्यक है

आजादी की अमर नेत्री नीरा नागिन ....विनोद पटेल

आजादी की इस अमर नेत्री को अंग्रेजी शासक ने इतनी यातनाएं दी गईं कि जानकारी होने पर आपका कलेजा मुँह को आजायेगा और नेहरू ही नही नेहरु परिवार कहता है कि चरखा से आजादी मिली?          नीरा आर्य की कहानी। जेल में जब मेरे स्तन काटे गए ! स्वाधीनता संग्राम की मार्मिक गाथा। एक बार अवश्य पढ़े, नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी ।         नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में भारतीय  सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा के मन मे देश की आजादी के प्रति उत्कट भावना थी । नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए इन्होंने अंग्रेजी सेना में तैनात अपने ही अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी |      नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -👇🏼       5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सक्रिय सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने , इनपर भी गुप्तचर होने का झूठा आरोप लगाया था।       बीरबाला नीरा ​को &q

[ M १४ ] हृदय रोग और पागलपन : कारण और उपचार [ भाग दो ]

web - gsirg.com [ M ]   हृदय रोग और पागलपन : कारण और उपचार [ भाग दो  ] इलाज का तीसरा चरण पीपल के पेड़ से तो आप परिचित ही होंगे , क्योंकि यह पेंड़ लगभग हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाता है | इस पेड़ के पर्याप्त मात्रा में पत्ते लाकर , शाम को पानी में भिगो दें | सुबह होने पर '' भपके '' के जरिए इन पत्तों का अर्क निकाल लीजिए | इस अर्क को सुरक्षित बोतलों में भरकर रख लीजिए | इसकी भी लगभग 50 ग्राम मात्रा नाश्ते के 1 घंटे बाद सेवन किया करें इस औषधि सेवन के 50 मिनट पश्चात तक कुछ न खाएं | यह अर्क दिन में तीन बार लिया करें | अर्क सेवन के 50 मिनट पहले तथा एक घंटा बाद कुछ भी न खाएं और न ही पिए | सावधानी रोगी को चाहिए कि वह अपने पास एलोपैथिक औषधि '' सोर्बिट्रेट 5 mg '' कि गोलियाँ अपने पास अवश्य रखें | कभी-कभी ऐसा होता है कि चिकित्सीय परीक्षण में भी रोग की सही तीव्रता का पता नहीं लग पाता है | इसलिए हो सकता कि आपको अचानक हृदय रोग की पीड़ा होने लगे | ऐसे मे यह गोलियां आपके उपचार मे काम आएंगी | ह्रदय रोग का आभास होने पर इसकी एक गोली जीभ के नीचे रख ले

[ M 14 ] हृदय रोग और पागलपन कारण और उपचार [ भाग एक ]

web -  gsirg.com [ M ]   हृदय रोग और पागलपन : कारण और उपचार [ भाग एक ] मानव शरीर के समस्त महत्वपूर्ण अंगों में हृदय सर्वश्रेष्ठ अंग है  |  इसको सब अंगों   का राजा कहा जा सकता है  |  आदमी के शरीर का यह अंग जितना ही महत्वपूर्ण और उपयोगी है  ,  उतना ही जटिल इसकी बीमारियां भी हैं  |  इसकी बीमारियों को ठीक करने के लिए   चिकित्सक लोग प्रायः मूल्यवान औषधियों का ही प्रयोग करते हैं  ,  जैसे मोती  ,  स्वर्ण भस्म  ,  जवाहर मोहरा आदि  |  क्योंकि हमारा देश   एक कृषि प्रधान देश है  ,  इसलिए यहां की   अधिसंख्य जनता के पास इतना अधिक पैसा नहीं होता है   कि  ,  वह महंगा इलाज करा सके  |  परंतु हमारे देश पर प्रकृति माता इतनी दयालु है  ,  कि उन्होंने गरीबों के लिए ऐसी ऐसी विभिन्न वनस्पतियां पैदा कर दी हैं  ,  जिनसे वे लोग आसानी से कठिन रोगों से मुक्ति पा जाते हैं  | हृदय रोग का कारण लोगों में हृदय रोग होने का प्रमुख कारण खानपान में गड़बड़ी  ,  अनुचित आहार विहार और प्रदूषित वातावरण जिम्मेदार हैं  |  इसके लिए कुछ हद तक इस रोग के रोगी इस रोग के होने के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं  |  उनके कुछ ऐसे क्रिया

[ k14 ] हृदय रोग सरल तथा चमत्कारिक औषधि [ भाग दो ]

web -  gsirg.com [ k ]    हृदय रोग  सरल तथा चमत्कारिक औषधि [ भाग दो  ] इलाज का दूसरा चरण यदि आपके आसपास कहीं बाजार लगता हो तो वहां से पर्याप्त मात्रा में लौकी खरीद कर ले आयें  |  इसके साथ ही बाजार से एक  ''  जूसर  ''  भी ले आए  |  बाजारों   मे सीजन पर पर्याप्त मात्रा में   लौकी उपलब्ध होती है  |  अगर लौकी का सीजन न हो तो   बाजार से लौकी   के बीज लाकर  ,  उन्हें   गमलों में लगा दें  |  जिससे आपको कभी भी लौकी   की कमी न हो  |  अब प्रतिदिन प्रातः काल नाश्ते से  50  मिनट पहले  ,  लौकी के ताजे रस की  50  मिलीलीटर मात्रा लेकर  ,  प्रतिदिन लौकी का जूस पीना शुरू कर दे  | [  अगर आप चिकित्सा कर सकते हो तो  ,  लौकी के रस की जगह गाय का मूत्र भी इतनी ही मात्रा में पी सकते हैं  ]  हो सकता है कि आप ऐसा न कर पाएं तो न करें  ,  लेकिन लौकी का रस जरूर पिएं  |  ऐसा हम इसलिए बता रहें हैं  ,  क्योंकि गाय का मूत्र लौकी के रस की तुलना मे  5  गुना जल्दी लाभ करता है  ,  तथा बिना किसी झंझट के आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है  |  इसलिए आप अपनी मर्जी से औषधि का चयन करें  |  उपरोक्त को