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[ k ] हृदय रोग सरल तथा चमत्कारिक औषधि [ भाग दो ]
इलाज का दूसरा चरण
यदि आपके आसपास कहीं बाजार लगता हो तो वहां से पर्याप्त मात्रा में लौकी खरीद कर ले आयें | इसके साथ ही बाजार से एक '' जूसर '' भी ले आए | बाजारों मे सीजन पर पर्याप्त मात्रा में लौकी उपलब्ध होती है | अगर लौकी का सीजन न हो तो बाजार से लौकी के बीज लाकर , उन्हें गमलों में लगा दें | जिससे आपको कभी भी लौकी की कमी न हो | अब प्रतिदिन प्रातः काल नाश्ते से 50 मिनट पहले , लौकी के ताजे रस की 50 मिलीलीटर मात्रा लेकर , प्रतिदिन लौकी का जूस पीना शुरू कर दे | [ अगर आप चिकित्सा कर सकते हो तो , लौकी के रस की जगह गाय का मूत्र भी इतनी ही मात्रा में पी सकते हैं ] हो सकता है कि आप ऐसा न कर पाएं तो न करें , लेकिन लौकी का रस जरूर पिएं | ऐसा हम इसलिए बता रहें हैं , क्योंकि गाय का मूत्र लौकी के रस की तुलना मे 5 गुना जल्दी लाभ करता है , तथा बिना किसी झंझट के आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है | इसलिए आप अपनी मर्जी से औषधि का चयन करें | उपरोक्त कोई भी इलाज आप कर सकते हैं | आप इतना विश्वास जरूर करें कि इस इलाज के बाद आप हृदय रोग या पागलपन से तो मरेंगे नहीं|अन्य रोग की मै बात नहीं करता|
इलाज का तीसरा चरण
पीपल के पेड़ से तो आप परिचित ही होंगे , क्योंकि यह पेंड़ लगभग हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाता है | इस पेड़ के पर्याप्त मात्रा में पत्ते लाकर , शाम को पानी में भिगो दें | सुबह होने पर '' भपके '' के जरिए इन पत्तों का अर्क निकाल लीजिए | इस अर्क को सुरक्षित बोतलों में भरकर रख लीजिए | इसकी भी लगभग 50 ग्राम मात्रा नाश्ते के 1 घंटे बाद सेवन किया करें इस औषधि सेवन के 50 मिनट पश्चात तक कुछ न खाएं | यह अर्क दिन में तीन बार लिया करें | अर्क सेवन के 50 मिनट पहले तथा एक घंटा बाद कुछ भी न खाएं और न ही पिए |
सावधानी
रोगी को चाहिए कि वह अपने पास एलोपैथिक औषधि '' सोर्बिट्रेट 5 mg '' कि गोलियाँ अपने पास अवश्य रखें | कभी-कभी ऐसा होता है कि चिकित्सीय परीक्षण में भी रोग की सही तीव्रता का पता नहीं लग पाता है | इसलिए हो सकता कि आपको अचानक हृदय रोग की पीड़ा होने लगे | ऐसे मे यह गोलियां आपके उपचार मे काम आएंगी | ह्रदय रोग का आभास होने पर इसकी एक गोली जीभ के नीचे रख लेने से , हृदय रोग की पीड़ा से आप का बचाव होता रहेगा | यह गोलियाँ ज्यादा महंगी भी नहीं है , तथा जीवन रक्षक होने के कारण मेडिकल स्टोर्स पर आसानी से मिल जाती हैं |
इस चिकित्सा के दौरान आप यह बात जरूर ध्यान रखें कि हृदय रोग जानलेवा रोगों में है फिर भी यह आसानी से किसी की जान नहीं लेता है | यदि आप धैर्यपूर्वक चिकित्सा करेंगे , तथा विश्वास बनाए रखेंगे तो आपको निश्चित रूप से लाभ मिलेगा यह मेरा दावा है कि विधिविधान से नियमित चिकित्सा करेंगे तो आप हृदय रोग से तो स्वर्गवासी नही होंगे | इस चिकित्सा से आप पागलपन के रोगियों का इलाज करके उनके पागलपन को भी दूर कर सकेंगे |
जय आयुर्वेद
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