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फ़रवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
महिमामयी  आदिशक्ति माता भवानी          हम अपने धर्म ग्रंथों का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि उनमें हमारी कई माताएं बताई गई हैं| जिनमें पार्वती माता संतोषी माता और लक्ष्मी माता आदि| लेकिन मां भवानी को आदि शक्ति के रूप में वर्णन करते हुए उन्हें सर्वश्रेष्ठ माता बताया गया है| इन्हें की लीला में  प्रकृति व सृष्टि के सभी घटनाक्रम समाए हैं| अध्ययन करने पर पता चलता है कि प्रकृति के तीन गुणों और उनकी कृतियों विकृतियों से ही ब्रह्मांड का निर्माण होता है| इन्ही में सृष्टि के सभी आरोह और अवरोह जन्म लेते हैं| पूरे संसार की समस्त घटनाओं को संचालित करने वाली ऊर्जा दरअसल मूल प्रकृति ही है यह  ऊर्जा माता जी  द्वारा ही पैदा की और कण्ट्रोल होती है | इसी ऊर्जा में आयी विविध विकृतियों से ही सृष्टि सृजन के बहुआयाम विकसित होते हैं| यहां तक कि देव शक्ति से लेकर विश्व के समस्त कण-कण में समाहित ऊर्जा के विभिन्न रूपों का रहस्य ही  मूल प्रकृति का वैकृतिक  रहस्य है| जिन लोगों ने भवानी मां पर श्रद्धा रखते हुए अपने भाव चेतना में माता जी का स्पर्श और स्नेह पाया है वे जानते हैं कि आदिशक्ति माता की मूल प्रकृति है

आध्यात्मिकता अपनाएं सद्गुण बढ़ाएं [ 1/14 ]

web - gsirg.com आध्यात्मिकता अपनाएं सद्गुण बढ़ाएं                 परोपकारी और आध्यात्मिक व्यक्ति अध्यात्म के शिखर पर पहुंचा हुआ व्यक्ति होता है | वह दूसरों के परोपकार के कार्य करता रहता है |वह अपने जीवन के संबंध में किसी को कुछ भी नहीं बताता है, जबतक कि उसे आध्यात्मिक जीवन में कुछ बोलना प्रासंगिक या प्रेरणादायक न हो | आध्यात्मिक व्यक्ति किसी भी प्रकार का दिखावा यह आडम्बर नहीं करता है और न ही आत्मप्रशंसा करता है | उसको अपने विषय में बातचीत करना पसंद नहीं आता है | वह तो यथार्थ का समर्थक होता है | उसका अपना विचार होता है कि जो व्यक्ति किसी की चापलूसी करता हैं, मुझे अपने को उससे दूर रहना चाहिए | वह केवल भले व्यक्तियों को ही अपने पास रखना चाहिए, जो वक्त पड़ने पर उसके हितेषी सिद्ध हो सके |    \\ उन्नत आध्यात्मिक व्यक्ति \\             आध्यात्मिक व्यक्ति मूल रूप में रचनात्मक विचारों वाला होता है | उसे संसार में ईश्वरीय ज्ञान   फैलाने की इच्छा होती रहती है | उसका ज्ञान भी परिष्क्र्त और उच्च कोटि का होता है, जो हृदय की गहराइयों से पैदा होता है | उसे इस ज्ञान की प्राप्ति के ल

धर्म ; जीवनसंग्राम में विजय प्राप्ति के उपाय [ 1 / 13 ]

              web - gsirg.com \\ जीवनसंग्राम में विजय प्राप्ति का उपाय \\          हमारा भूमंडल बहुत बड़ा है , इसमें अनेकों प्राणी निवास करते हैं | सभी प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ मानव को माना गया है | परन्तु इस संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है , जिसके जीवन में मुसीबतें   न हों | प्रत्येक प्राणी को अपने जीवन में विपत्तियों का सामना करना ही पड़ता है | क्योंकि दिन और रात के समान ही कालचक्र सदा घूमता रहता है , जिससे आज कोई बच नही पाया है | जिस प्रकार हर दिन के बाद रात आती है ठीक उसी तरह हर सुख के बाद दुख भी प्राणी केजीवन मैं आता रहता है | यह विपत्तियां एक प्रकार से मानव के धैर्य साहस , सहिष्णुता और आध्यात्मिकता की परीक्षा लेती हैं | जीवन के इस संग्राम में जो पुरुष अपनी मुसीबतों का निर्भीकता और दृढ़ता के साथ मुकाबला कर पाता है , उसे ही इस जीवन के संग्राम में विजय प्राप्त होती है , उसे ही सफल पुरुष कहा जा सकता है |      \\   हंसते हुए सहज भाव से करें मुकाबला \\        कोई भी प्राणी अपने जीवन में आने वाली विपत्तियों कि किसी भी प्रकार उपेक्षा नहीं कर सकता है | वास्तव में

इलाज ; प्रमेहकी चिकित्सा [ 1 /12 ]

web - gsirg.com \\ प्रमेह की चिकित्सा \\ यह एक भयानक गुप्त रोग है जो किसी भी मनुष्य को 14 से 15 वर्ष की उम्र से लेकर वृद्धावस्था के पुरुषों को भी हो जाया करता है। खानपान की अनियमितता , आहार विहार में व्यतिक्रम तथा वातावरणीय प्रदूषण के कारण लोगों के मनोमस्तिष्क प्रदूषित हो जाते हैं। जिसके परिणामस्वरुप यह गुप्त रोग किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है। इससे ग्रसित पुरुष का शरीर कमजोर , निस्तेज और निष्क्रिय बना रहता है , जिसका असर उसकी संतान पर भी पड़ता है। पिता के अनुरूप ही पुत्र भी इस रोग से ग्रसित हो सकता है। यही कारण है कि आज के राष्ट्रीय जीवन मे भी सामूहिक रुप से अधिकांश व्यक्ति अशक्त , निरुत्साहित , शिथिल और रोगग्रस्त दिखाई देते हैं। \\ प्रमेह रोग के कारण \\ यह तो सभी जानते हैं कि शरीर से किसी भी पदार्थ का निश्चित राशि से अधिक मात्रा में मूत्र मार्ग से निकल जाना ही प्रमेह कहलाता है। इसके प्रमुख कारणों में व्यक्ति का सदा आराम से बैठे रहना , सोए

इच्छाओं की दुनिया [ b1 ]

web - gsirg.com इच्छाओं की दुनिया      इस दुनिया में, वहाँ हर जीवित प्राणी के हृदय में इच्छाओं के विभिन्न प्रकार के आरक्षण कामना आग का एक प्रकार इस तरह के एक ज्वलंत आग है जो समझता है कभी नहीं इच्छा पूरी हो जाती है, तो है माना जा सकता है, एक और इच्छा जन्म देने के यह है शुरू होता है अन्वेषण तोड़ने के लिए नहीं, परन्तु, जब वह मनुष्य का पालन करता है, तो वह उस समय के रूप में हो सकता है इसके अलावा, यह निष्कर्षण की असाधारण जबरन वसूली है                                    शुभकामनाएं निम्नलिखित नहीं रोकती हैं     मानव मस्तिष्क में वासना की दुनिया कभी भी छुपती नहीं है, इसका मतलब है कि अनंत काल की इच्छा मस्तिष्क में आगे बढ़ रही है एक तरह से ऐसी स्थिति में, उसकी इच्छाओं की दुनिया दूर हो जाती है। परम संतोष के मार्ग को प्राप्त करने की परम संतुष्टि है।      इच्छाशक्ति का कोई समाधान नहीं      जब कोई मन की इच्छाओं को टायर करने की कोशिश करता है, तो वह केवल उसकी पूर्ति में ही जाता है यही कारण है कि ऐसा कहा जाता है कि यह ऐसा मरने वाला पेड़ नहीं है, जिसकी किसी भी समय इसकी जड़ें बढ़ रह

इलाज ; मुंह का लकवा [1 /1 ]

Web - GSirg.com इलाज ; मुंह का लकवा [1 /1 ] हमारे शरीर में अनेकों प्रकार की गंभीर से गंभीरतम बीमारियां हो सकती है , तथा हो भी जाती है |ऐसी ही गंभीर बीमारियों मुंह का लकवा भी एक बीमारी है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का मुंह टेढ़ा हो जाता है। जिसके कारण उसका चेहरा कुरूप दिखाई पड़ने लगता है। परिणाम स्वरुप आदमी को अपने जीवन में कष्ट और ग्लानि काअनुभव होने लगता है। यह एक ऐसी व्याधि है , जो रोगी को अचानक ही हो जाती है। इस रोग का पता रोगी को पहले से नहीं हो पाता है | \\ रोग के कारण \\ जो लोग हरदम ऊंची आवाज में बात करते हैं , अर्थात जोर जोर से बोलते हैं , जोर जोर से हंसते है या फिर ऐसे लोग जिन्हें जन्भाइयाँ अधिक आती हैं तथा भारी बोझ उठाना पड़ता है , उनको यह रोग आसानी से हो जाता है। ऐसे व्यक्ति सदा कठिन भोजन करते हैं , और ऐसे लोग जिन्हे मजबूरी बस ऊंचे-नीचे स्थान पर विकृत शरीर की स्थिति में सोना पड़ता है। ऐसे लोगों के शरीर की वायु प्रकुपित होकर सिर , मस्तक , नाक होंठ और आंखों पर आ कर रुक जाती है। यह प्रकुपित वायु शरीर के जिस

धर्म ; सिद्धियांतथा उनके प्रकार [ 28 ]

Web - gsirg.com सिद्धियां तथा उनके प्रकार हमारे देश में अनेको महापुरुष , महर्षि और विद्वान और ऋषि आदि हुऐ है , जिन्होंने अपने ज्ञान द्वारा जनसाधारण को धर्म और अध्यात्म के विषय में बहुत कुछ बताया है। ऐसे ही महान योगऋषियों में पतंजलि का नाम भी आता है। योग ऋषि पतंजलि ने हमें सिद्धियों के बारे में जिन महत्वपूर्ण तथ्यों को लोगों को बताया था ,उन्होंने उसका वर्णन अपनी पुस्तक में भी किया है | उनकी पुस्तक के विभूतिपाद में विभूतियों की विलक्षण शक्तियों का भी वर्णन किया गया है | महर्षि कैवल्यपाद ने पतंजलि के सूत्रों में वर्णित सिद्धियों को स्पष्ट कर उसका सरल भाषा में वर्णन किया है | उन्होंने बताया है कि सिधियां पांच प्रकार की होती हैं। सिद्धियों के सभी प्रकारों को वर्णित करते हुए बताया है की किन किन कारणों से शरीर में , इंद्रियों में और चित्त में जो परिवर्तन होते हैं , उनमें इन शक्तियों का प्रकटीकरण होता है | इसका कारण होता है मानव के जन्म जन्मांतर मैं की गई साधना , और उसके द्वारा किए गए शुभ कर्म | प्रस्तुत लेख में हमारा उद्देश्य सिद्धियों के

इलाज ; स्वप्नदोष [28 ]

Web - GSirg.com इलाज ; स्वप्नदोष यह नवयुवकों को होने वाला एक ऐसा रोग है , जिसने बहुत से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। इसके जो भी भुक्तभोगी है , वह लोग ही इसकी पीड़ा को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। रोग की प्रारंभिक अवस्था में पहले रोगी लापरवाही बरतता है। कुछ दिनों के पश्चात उसके मन में इसका इलाज कराने की बात समझ में आती है। क्योंकि यह एक गुप्त रोग है , इसलिए पहले वह हिचकिचाता है , परंतु जब उसे समझ में आता है कि रोग भयंकर हो गया है , तब वह सारी शर्मो-हया को छोड़कर इलाज करने की सोचता है। इसका इलाज करने से पूर्व इस रोग के विषय में जान लेना जरूरी है। रोग की प्रकृति इस रोग का रोगी जिस समय निद्रा अवस्था में होता है उस समय उसके मूत्र मार्ग द्वारा वीर्य का पतन हो जाता है। स्वप्न में वह अपने को कामुक अवस्था में पाकर या किसी लड़की के साथ रतिक्रिया में लिप्त रहने का आभास करता है। उसके तुरंत बाद ही उसका वीर्य स्खलित हो जाता है। रोग की भीषण अवस्था में तो रोगी जान ही नहीं पाता है , कि उसे स्वप्नदोष हो चुका है। स्वप्नदोष के कारण इस रोग होने का एक प्रम