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जैसा कि पूर्व में हम बता चुके हैं कि इनका अनुभव बहुत गहरा होता है | अनुभव की व्यापकता के अनुरूप इनका चेतनात्मक विकास भी होता है | इसी व्यापकता के कारण ही उनके व्यक्तित्व का विकास भी होता ही रहता है | ऐसे पुरुषों का भावनात्मक संवेदन की व्यापकता , मानसिकता , रूपांतरण उच्च कोटि का होती है | इसलिए इनकी जागृत चित्तावस्था और समझ भी विराट होते हैं | किसी भी समस्या को हल करने के लिए यह लोग उसके मूल में जाकर उसका अध्ययन कर उसे निर्मूल करना , ही उनका उद्देश्य होता है | अंत में यह कहा जा सकता है कि उनका व्यक्तित्व अद्भुत और अतुलनीय होता है | इस श्रेणी के लोग व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए ही आध्यात्मिक पद का चयन और अनुसरण करते हैं |
आध्यात्मिक व्यक्तित्व
पिछले कई लेखोँ में हम बता चुके हैं कि , संसार में दो प्रकार के पुरुष पाए जाते हैं | इनमें से पहले को सांसारिक और दूसरे को आध्यात्मिक पुरुष कहते हैं | इनके व्यक्तित्व भी अलग-अलग तरह के होते हैं | वर्तमान लेख में हम आध्यात्मिक पुरुषों की व्यक्तित्व का ज्ञान प्राप्त करेंगे |
ट्रांसपर्सनल व्यक्तित्व
आध्यात्मिक पुरूषों का व्यक्तित्व व्यापक एवं विस्तृत होता है | ऐसे लोगों के व्यक्तित्व की सर्वोपरि विशेषता होती है , कि ऐसे पुरुषों का '' मानसिक दायरा '' सामान्य पुरुषों की तुलना में संकीर्ण संकरा या सीमित नहीं होता है | इसका कारण होता है उनका गंभीर अनुभव | उनके अनुभव की गहराई एवं व्यापकता से ही उनका व्यक्तित्व परिभाषित होता है | विकास की अनंतता छिपाए ऐसे पुरुष सामान्य सदेह में होकर भी आकाश पुरुष बन जाते हैं | एक प्रकार से ऐसे पुरुष साक्षात परमात्मा का रूप होते हैं | उनके अंदर सभी कुछ सामान्य पुरुषों से परिवर्तित रहता है |
भिन्न मानसिक सोँच
आध्यात्मिक पुरुष की मानसिक दुनिया सामान्य पुरुषों की दुनिया से भिन्न होती है | दुनिया की संकीर्ण और संकरी मानसिकता से ऊपर उठे हुए यह लोग , रिश्ते की सोच , आग्रह एवं मान्यताओं के दायरे में रहते हैं | यह लोग इसी में ही रमे रहते हैं | ऐसे लोग सांसारिक रिश्ते जैसे माता-पिता , भाई-बहन , पति-पत्नी , संतान और मित्रगणों के दायरे से बाहर निकलकर किसी अन्य रिश्ते की कल्पना ही नहीं कर पाते हैं |
देहातीत पुरुष
आध्यात्मिक पुरुष देखने में तो सामान्य पुरुषों जैसे लगते हैं , परंतु उनसे बिलकुल ही भिन्न होते हैं , क्योंकि उनका आंतरिक जीवन परिवर्तित , परिष्कृत और परिवर्धित होता है | यह पुरुष सदेह होकर भी देहातीत होते हैं | यह महापुरुष मानवदेह को धारण कर इस दुनिया में किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए आते हैं , और अपने उद्देश्य को पूरा करने के बाद इस सांसारिक दुनिया से , अपनी दुनिया अर्थात परमात्मा की दुनिया में चले जाते हैं | अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तथा उद्देश्यों को मूर्तरुप देने हेतु इन्हें इस संसार में कुछ समय के लिए ही आना पड़ता है | इन महापुरुषों का अपना लोक इनके इंतजार में पलक पांवड़े बिछाए बैठा रहता है |
अहम और स्वार्थ से दूर रहने वाले पुरुष
आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाले पुरुष के मन में कभी भी '' मैं ''और '' मेरा '' का विचार नहीं आता है | वह स्वार्थ और अहं से हरदम दूर रहता है | वह जानता है कि संसार के सारे दुखों की जड़ मानव के यही दुष्वृत्तियाँ हैं | सांसारिक पुरुष सदैव इसी की खोज में लगे रहते हैं | जबकि आध्यात्मिक पुरुष सदा ही इन कुवृत्तियों से दूर रहते हैं | उनके लिए संसार के सभी सुख और दुख एक ही श्रेणी के होते हैं | इनका अनुभव व्यापक और विस्तृत होता है | अध्यात्त्मिक पुरुषों को अपने अनुभव से जो उचित प्रतीत होता है , वह उसी के अनुरूप ही कार्य संचालन करते हैं | यही कारण है कि सामान्य लोग आध्यात्मिक पुरुषों की सोच के विषय में अनजान और अनभिज्ञ रहते हैं , जबकि आध्यात्मिक पुरुष न तो अनजान होते हैं और न ही अनभिज्ञ |
व्यापक मानसिक सोच
आध्यात्मिक पुरुषों की सोच व्यापक और विस्तृत होती है , क्योंकि समग्र मानव जाति ही उनके अपने रिश्तो में समाहित होती है | वह न तो किसी के प्रति आग्रह की भावना रखते हैं , और ना दुराग्रह की | आध्यात्मिक पुरुषों की सोच भी विश्वव्यापी होती है , और उनका आत्मविश्वास अधिक और अविचल होता है | वे जीवन रूपी युद्धभूमि में एक निर्भीक योद्धा की तरह अपने कदम बढ़ाए रखते हैं , और जीवन के युद्ध में विजय भी प्राप्त करते हैं |
ग्रहणशील और संवेदनशील व्यक्तित्व
आधात्मिक पुरुषों की आंतरिक दुनिया सामान्य लोगों की दुनिया से उच्च कोटि की होती है | इसीलिए उनकी सोच तथा समझ भी सामान्य मानव की तुलना मैं श्रेष्ठ होती है | ऐसे महापुरुषों का न तो अपना कोई सुख होता है , और न दुख | यह दूसरों के सुख मैं ही सुख का अनुभव और दुख में दुख का अनुभव करते हैं | इसका कारण ही यह है कि इनका जीवन मानवीयता के लिए समर्पित होता है | इनकी इस व्यापकता का आधार ही उनकी ग्रहणशीलता है | व्यापक ग्रहणशीलता के कारण ही उनका चरित्र विस्तृत , विराट और श्रेष्ठ प्रकृति का होता है | ऐसे लोग दूसरों के कष्ट और पीड़ा को अपना कष्ट और अपनी पीड़ा समझते हैं , तथा उसे दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं | क्योंकि इनकी संवेदनशीलता ही सामान्य पुरुषों की तुलना मे अधिक व्यापक होती है | सामान्य पुरुषों के कष्टों को दूर करने के लिए ऐसे महान विचारक प्रकृति के यह लोग अपने ईश्वर से उनका दुःख और पीड़ा दूर करने की प्रार्थना किया करते हैं | जैसा कि पूर्व में हम बता चुके हैं कि इनका अनुभव बहुत गहरा होता है | अनुभव की व्यापकता के अनुरूप इनका चेतनात्मक विकास भी होता है | इसी व्यापकता के कारण ही उनके व्यक्तित्व का विकास भी होता ही रहता है | ऐसे पुरुषों का भावनात्मक संवेदन की व्यापकता , मानसिकता , रूपांतरण उच्च कोटि का होती है | इसलिए इनकी जागृत चित्तावस्था और समझ भी विराट होते हैं | किसी भी समस्या को हल करने के लिए यह लोग उसके मूल में जाकर उसका अध्ययन कर उसे निर्मूल करना , ही उनका उद्देश्य होता है | अंत में यह कहा जा सकता है कि उनका व्यक्तित्व अद्भुत और अतुलनीय होता है | इस श्रेणी के लोग व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए ही आध्यात्मिक पद का चयन और अनुसरण करते हैं |
The End
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