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इलाज ; एसिड अटैक [1/15 ] D

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इलाज ; एसिड अटैक के क्या कारण

आजकल अखबारों में तेजाब से हमले की खबरें पढ़ने को मिल ही जाती हैं। तेजाब से हमला करने वाले व्यक्ति प्रायः मानसिक बीमार या किसी हीनभावना से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग अपनी हीनभावना को छिपाने तथा उसे बल प्रदान करने के लिए अपने सामने वाले दुश्मन व्यक्ति पर तेजाब से हमला कर देते हैं। कभी-कभी इसका कारण दुश्मनी भी होता है , इसके अलावा कभी-कभी लोग अपनी आत्मरक्षा के लिए भी एसिड अटैक का अवलंबन कर लेते हैं। कारण कुछ भी हो किंतु इसमें पीड़ित को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे हमलों का होना या ऐसी घटनाएं होना हर देश में आम बात हो गई है। इस्लामी देशों में लड़कियों को उनकी किसी त्रुटि के कारण तो ऐसी धमकियां खुलेआम देखने को मिल जाती हैं।
\\ शरीर का बचाव \\

यदि के शरीर किसी पर तेजाब से हमला होता है , उस समय शरीर के जिस भाग पर तेजाब पड़ता है , वहां पर एक विशेष प्रकार की जलन होने लगती है | इस हमले में शरीर का प्रभावित भाग बेडौल , खुरदरा और भयानक हो सकता है | इस हमले से पीड़ित व्यक्ति शरीर की त्वचा बुरी तरह प्रभावित होती है। ऐसी दुर्घटना के मरीजों को तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि चिकित्सक सलाह दें कि पीड़ित की प्लास्टिक सर्जरी करवा ली जाय तो प्लास्टिक सर्जरी अवश्य करवा दें , क्योंकि तेजाब पड़ने वाले स्थान को जितनी जल्दी हो सके उपचार मिलना ही चाहिए। ऐसे हमले के तुरंत बाद जितना जल्दी हो सके प्रभावित भाग को तुरंत पानी से धोना शुरू कर दें। इससे पीड़ित की जलन बढ़ तो सकती है। लेकिन धीरे-धीरे पूरा आराम आना शुरू हो जाता है , तथा शरीर के उस अंग को अधिक हानि नहीं हो सकेगी। अगर आपको सन्देह हो कि आप पर एसिड अटैक हो सकता है , या ऐसे किसी हमले की धमकी मिली हो तो आप ऐसे कपड़े पहनना शुरू कर दें , जिनसे पूरा शरीर ढका रहे। इसतरह से आप अपना प्राथमिक बचाव कर सकते हैं।

\\ आंख में तेजाब पड़ने पर \\

कभी-कभी हमलावर अपने शिकार पर सामने से ही तेजाब का हमला करता है। इसमें उसका उद्देश्य चेहरे को विकृत करना होता है। इसप्रकार के अटैक से से चेहरा तो प्रभावित होता ही है , कभी कभी तेजाब आंख मे भी पड़ सकता है। वैसे तो आंख की स्वाभाविक प्रक्रिया है कि उस पर अगर किसी चीज का अटैक होता है , तो वह अपना बचाव स्वयं कर लेती है। फिर भी अगर तेजाब का कुछ अंश आंख में चला गया है , तो उसे भी साफ पानी से ही प्रक्षालित कर दें , और तुरंत ही किसी पास के चिकित्सालय में ले जाएं। चिकित्सालय का चिकित्सक उसकी उचित चिकित्सा अपनी जानकारी के अनुसार कर देगा। जिससे आंख को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच पाएगा।

\\ तेजाबी हमले का सफल इलाज \\

कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की मन की बातों को तो जान ही नहीं सकता हैं , कि कोई कब , कैसे और किस समय कर ही देगा , फिर भी शरीर के चाहे जिस भाग पर एसिड अटैक हो ही जाय तो हम उससे बचने का सटीक सरल और आसान उपाय आपको बता रहे हैं। जैसे ही किसी पर एसिड का अटैक हो। आप तुरंत ही आसपास से गाय , भैंस , बकरी , भेड़ या किसी भी जानवर का दूध प्राप्त करें। दूध की पर्याप्त मात्रा इकट्ठा करके , रोगी के प्रभावित अंगों पर , उस दूध से प्रक्षालन करना शुरू कर दें। अगर आपातकालीन स्थिति है और आप को दूध नहीं मिल पा रहा है , उस समय आप किसी महिला जिसके स्तनों में दूध आता हो उससे अनुनय-विनय करके अल्पआवश्यक मात्रा में दूध पाने की कोशिश करें। हो सकता है दया करके कोई महिला बहन अपना दूध दे दे तो, उस दूध से भी पीड़ित का इलाज किया जा सकता है

इस इलाज की यह विशेषता है कि एसिड अटैक से पीड़ित व्यक्ति का अगर दूध से इलाज किया जाए तो पीड़ित के शरीर के चाहे जिस भाग पर तेजाब पड़ा हो , तुरंत ही आराम मिल जाता है। इसके साथ ही उसकी जलन भी धीरे-धीरे कम पड़ कर खत्म हो जाती है। पीड़ित के शरीर के जितने भी अंग पर तेजाब पड़ा है , उसका जितना प्रभाव हो चुका है उसके बाद तो बढ़ने ही नहीं पाएगा। इस चिकित्सा से पीड़ित के पूर्णरूप से ठीक हो जाने की गारंटी है। इस उपचार से तेजाब का प्रभाव आगे नहीं बढ़ पाता है , बल्कि उसी जगह से प्रभाव रुक कर धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।

\\ ध्यान रखें \\

इसलिए जब भी आपकी जानकारी में ऐसी घटना आए आप सबसे पहले दूध की व्यवस्था ही करें। परंतु यदि दूध न मिल पाये तो प्रभावित भाग को लगातार साफ पानी से धोते रहने पर भी तेजाब का असर कम हो जाता है। परन्तु इसके बाद किसी चिकित्सक के पास अवश्य ले जाएं , तथा उसका इलाज करा ले। इस बीच अगर दूध मिल जाए तो डॉक्टर के पास ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि प्रभावित भाग कम ही प्रभावित हुआ है तो वहां पर पड़े हुए दाग भी समय के साथ धीरे-धीरे कम होते जायेंगे। परंतु यदि तेजाब का असर ज्यादा प्रभाव डाल रहा है या डाल चुका है , तब उस जगह की प्लास्टिक सर्जरी कराना आवश्यक हो जाता है।

एसिड अटैक से पीड़ित रोगी का यदि इस विधि से इलाज किया जाए तो यह चिकित्सा , एलोपैथिक चिकित्सा से की तुलना में सस्ती , आसान और कम खर्चीली चिकित्सा साबित होती है , इसमें कम समय भी लगता है तथा अन्य कई प्रकार के झंझटों से भी बचा जा सकता है।


\\ इति श्री \\

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