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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गंदे और प्रदूषित रक्त को शुद्ध करने वाली प्रभावी औषधियां

web - gsirg.com गंदे और प्रदूषित रक्त को शुद्ध करने वाली प्रभावी औषधियां               अजवाइन से रक्त का शोधन                        आजकल वातावरण के बदलाव और आपने खानपान आहार - विहार आज के कारणों से लोगों का रक्त दूषित हो रहा है |  जिसके कारण उन्हें कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ता है जैसे रक्तातिसार खुजली चलना खाए हुए अन्य से जलन होना | यह बीमारियां रक्त के प्रदूषण के कारण होती हैं|| इनके प्रभावी इलाज के लिए हम आज एक प्राचीन नुस्खे के विषय में अध्ययन करेंगे जो दूषित रक्त को अतिशीघ्र शुद्ध करता है|         नुस्खा बनाने की विधि और सेवन विधि         रक्त को शुद्ध करने वाले इस नुस्खे को बनाने के लिए बाजार से अजवाइन लानी पड़ती है| अजवाइन एक सर्वत्र प्राप्त औषधीय है| यह हमारे रसोईघर और आसपास के लोगों के पास तथा व्यापारियों के पास आसानी से उपलब्ध हो जाती है| इसकी सौ ग्राम मात्रा लाकर उसे छाया में सुखाकर साफ कर लेते हैं|| जितनी मात्रा में अजवाइन लेते हैं उतनी ही मात्रा में मिश्री भी ले लेते हैं | दोनों सामग्रियों को कूट - पीसकर  चूर्ण बना लेते हैं| यह चूर्ण बहुत ही महीन ह

[ b/1 1 ] नकसीर

web -  gsirg.com  1   नकसीर    यह एक ऐसा रोग है , जिसमें पीड़ित को कोई खास परेशानी तो नहीं होती है , परंतु नकसीर फूटने पर रोगी भय से आक्रांत ज्यादा हो जाता है | उसकी नाक से खून गिरने लगता है | कभी-कभी तो खून की धारा बहने ही लगती है | इस खून की धारा को देखकर रोगी डर जाता है | इस शारीरिक व्याधि को ही नकसीर कहते हैं | यह दिक्कत ज्यादातर व्यक्ति के जीवन में लगभग 8 वर्ष से शुरू होकर 40 वर्ष तक होती है | उसके बाद प्रायः यह परेशानी नहीं होती है | प्रत्येक प्राणी अपने जीवन में एक बार इस परेशानी से रूबरू अवश्य होना पड़ता है | कुछ मामलों में तो वृद्ध लोग भी इससे पीड़ित होते देखे गए हैं | कारण   यह दिक्कत ज्यादातर गर्मी के मौसम में होती है | इसका प्रमुख कारण है कि गर्मियों में गर्मी के कारण शरीर का रक्त पतला हो जाता है | इससे रक्त को शरीर के कोमल भाग जैसे नासिका के रास्ते निकलने में आसानी होती है | इसके अतिरिक्त भी रक्त अन्य जगहों से भी निकल सकता है | जिन व्यक्तियों की प्रकृति पित्त प्रधान होती है , ऐसे लोगों का पित्त प्रकुपित होकर रक्त में मिल जाता है | इसके बाद पित्त रक्त के साथ म

[ B/12 ] माता की प्रसन्नता से मिलती है मुक्ति

web - gsirg.com माता की प्रसन्नता से मिलती है मुक्ति मां भगवती की लीला कथा के अनुकरण से शिवसाधक को कई प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं , जैसे शक्ति , भक्ति और मुक्ति आदि | माता की लीला कथा का पाठ करने से ही शक्ति के नए नए आयाम खुलते हैं | यह एक अनुभव की बात है | आदिकाल से ही माता के भक्तजन इस अनुभव को प्राप्त करते रहे हैं , और आगे भी प्राप्त करते रहेंगे | भक्तों का ऐसा मानना है , कि शक्ति प्राप्त का इससे सहज उपाय अन्य कोई नहीं है | इसके लिए दुर्गा सप्तशती की पावन कथा का अनुसरण करना होता है , जो लोग धर्म के मर्मज्ञ हैं तथा जिनके पास दृष्टि है केवल वही लोग इस सत्य को सहज रूप में देख सकते हैं | दुर्गा सप्तशती का पाठ माता की भक्ति करने वालों के जानकारों का विचार है , कि माता की शक्ति प्राप्त का साधन , पवित्र भाव से दुर्गा सप्तशती के पावन पाठ करने पर ही प्राप्त हो सकता है | इस पवित्र और शक्ति दाता पावन कथा का प्रचार केवल धरती पर ही नहीं , अन्य लोको में भी है | इस पावन कथा का पाठ और अनुष्ठान लोक लोकांतर में भिन्न भिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया

[ a/12 ] धर्म ; आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा

web - gsirg.com धर्म ; आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा जिस प्रकार से हमारे धर्म ग्रंथों में पूजनीय देवी देवताओं के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है | ठीक उसी प्रकार आदिशक्ति मां भगवती के भी अनेक रूपों का वर्णन किया गया है | मां भगवती की लीला कथाओं में उनके रूपों और प्रभाव का विस्तृत उल्लेख किया गया है इन लीलाकथाओं में माता के अनगिनत रूपों का वर्णन किया गया है | इन्हीं में माता के एक रूप का नाम रूपनिद्रा का भी है | इसी रूपनिद्रा का वर्णन और विवरण इस लेख के माध्यम से किया जा रहा है | पाठकगण माता के इस रूप का ज्ञान प्राप्त कर उनकी कृपा प्राप्त करने की अभिलाषा पूर्ण कर सकते हैं | \\ माता की रूपनिद्रा \\ जगतमाता मां भगवती के इस रूप को सभी नमन करते हैं | बताया जाता है , कि आदिशक्ति माता अपने इस रूप में संसार के सभी प्राणियों को शांति , विश्रांति तथा जीवन ऊर्जा का वरदान देती हैं | जो भक्त माता की भक्ति करते हैं , केवल वही माता की कृपा पाते हैं | इसके अलावा जो व्यक्ति माता से कोई लगाव नहीं रखते वह प्राणी अपने जीवन में माता की कृपा से वंचित रह जाते हैं

[ a/11 ] इलाज ; श्वास रोग या दमा का एक ही सप्ताह में इलाज

web - gsirg.com इलाज ; श्वास रोग या दमा का एक ही सप्ताह में इलाज हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण संस्थान हैं , जिनमें श्वसन संस्थान का महत्वपूर्ण स्थान है | इसी संस्थान की प्रक्रिया द्वारा मनुष्य शरीर में प्राण वायु [ आक्सीजन ] जाती है , और दूषित वायु [कार्बन डाई आक्साइड ] बाहर निकलती है | सांस लेने की प्रक्रिया श्वास नली के माध्यम से होती है | किन्हीं कारणों से यदि श्वास नली में सूजन आ जाए या उसमें कफ जमा हो जाए तो सांस लेने में कठिनाई होती है | श्वास नलिका के संक्रमण को श्वास रोग का होना कहा जाता है , इस रोग में पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में बहुत ही दिक्कत होती है | लक्षण श्वसन संस्थान की श्वसन क्रिया का माध्यम बनने वाली श्वास नली में सूजन होना इसका एक प्रमुख कारण है | इसके लिए लोगों के आसपास का दूषित वातावरण अनियमित आहार विहार और दूषित खानपान जिम्मेदार है | वातावरण के प्रदूषण से तथा खान पान के प्रदूषण और अनियमितता से श्वास नली पर प्रभाव पड़ता है | जिसके कारण श्वास नली में कफ इकट्ठा हो जाता है | श्वास नली में कफ इकट्ठा हो जाने से वायु के आने जाने का

[ z/12 ] धर्म ; तुम वही ही हो

web - gsirg.com 2धर्म ; तुम वही ही हो प्रत्येक मानव आदि काल से ही यह जानने का इच्छुक रहा है कि वह क्या है तथा इस संसार मे किसलिए आया है | इन सभी को जानने के लिए वह विद्वानों , ऋषि-मुनियों और योगियों के संपर्क में जाता रहता है | तथा सदा ही अपने को जानने का प्रयास करता रहता है | काफी प्रयासों के बाद उसे ज्ञात होता है ,कि वह तो स्वयं ही परमात्मा का अंश है | यह जान लेने के पश्चात ''तुम वहीं ही हो '' वाक्य उसके लिए बहुत ही सारगर्भित हो जाता है | यह बात तो उसके के समस्त आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव का सार है | प्रत्येक मानव को ज्ञानीजन यह बताते रहते हैं , कि इस तथ्य पर चिंतन और मनन करने की जरूरत होती है | ज्ञान की प्राप्ति ज्ञान की प्राप्ति भीएक ऐसा सच है जिस को जानने की बहुत अधिक आवश्यकता होती है | इसका कारण है कि बहुत से लोग इस ज्ञान को जान ही नहीं पाते हैं | जिन लोगों को आत्मज्ञान हो पाता है या फिर जिन्होंने ईश्वर से साक्षात्कार किया है , केक्ल वही लोग इसे जान पाते हैं | साधारणतः ऐसा देखा गया है कि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो इस परम ज्ञान को प्

[ z/11 ] ]इलाज ; हिस्टीरिया

web - gsirg.com 1इलाज ; हिस्टीरिया यह महिलाओं को होने वाला एक गुप्त रोग है ,जो अधिकतर जवान महिलाओं को हो जाया करता है | इसके कारण महिलाओं को अत्यधिक परेशानी होती है | यदि किसी कारण से किसी महिला की यौन इच्छा की पूर्ति नहीं हो पाती है ,अर्थात कामेच्छा आधी अधूरी रह जाती है | इसी के कारण उन्हें यह रोग हो जाया करता है | यौन इच्छा की पूर्ति ना हो पाने पर महिलाएं अपने आप को अतृप्त मानने लगती है | ऐसी अवस्था में उनके मन मस्तिष्क में कुंठा की एक भावना आ जाती है | जिसके कारण यह रोग धीरे-धीरे उनके शरीर में पांव पसारने लगता है , और कालांतर में अपना विकट रूप धारण कर लेता है | यह बीमारी अगर एक बार हो जाए तो बड़ी परेशानी से दूर हो पाती है | सामान्य लक्षण इस रोग से पीड़ित महिला को कभी भी , किसी समय और किसी भी स्थान बेहोशी आ जाती है | बेहोशी की हालत में उसके हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं | उसका चेहरा विकृत होकर निस्तेज हो जाता है | इसके अलावा उसके मुंह से झाग भी निकलने लगती है | रोगिणी महिलाओं को चक्कर भी आने लगते

[ y/21 ] धर्म ; जीवन का सदुपयोग ही आध्यात्मिक जीवन है

धर्म `12 web - gsirg.com धर्म ; जीवन का सदुपयोग ही आध्यात्मिक जीवन है आज हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि जीवन का महामंत्र क्या है | जीवन का महामंत्र है ,जीवन का सदुपयोग | इस दुनिया में आया हर प्राणी अपना जीवन व्यर्थ में बिताता है , परंतु कुछ लोग जीवन के प्रति सजग सतर्क और सचेष्ट होते हैं | इस संसार के अधिकतर प्राणी जीवन के इस रहस्य से परिचित नहीं होते | दूसरे शब्दों में वे लोग अपना पूरा जीवन सांसारिक सुखों को पाने में ही बिता देते हैं | जीवन के इस रहस्य को न जाने वाले लोग इन समस्याओं से घबराकर , इन समस्याओं से बचने का प्रयास करते हैं , या फिर इन समस्याओं से दूर भागने लगते हैं | परंतु जो लोग जीवन के प्रबंधन की इस विधा से परिचित हो जाते हैं | उनका ही जीवन श्रेष्ठतम बन पाता है | प्रखर पुरुषार्थ की आवश्यकता मानव अपने जीवन का सदुपयोग उसी समय कर सकता है ,जब वह जीवन के प्रति सकारात्मक और विधेयात्मक दृष्टिकोण रख सकेगा | सकारात्मक और विधेयात्मक दृष्टिकोण के क्रियान्वयन के लिए प्रखर पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है | यह तो सर्वविदित है कि कोई सिद्धांत तभी सार्थक हो