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दुख की आवश्यकता दुख की आवश्यकता दुख की आवश्यकता

 दुख क्या है ? इस नश्वर संसार के जन्मदाता परमपिता ईश्वर ने अनेकों प्रकार के प्राणियों की रचना की है | इन सभी रचनाओं में मानव को सर्वश्रेष्ठ माना गया है | इस संसार का प्रत्येक मनुष्य अपना जीवन खुशहाल और सुख में बिताना चाहता है , जिसके लिए वह अनेकों प्रकार की प्रयत्न करता रहता है | इसी सुख की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हुए उसका संपूर्ण जीवन बीत जाता है | यहां यह तथ्य विचारणीय है कि क्या मनुष्य को अपने जीवन में सुख प्राप्त हो पाते हैं | क्या मनुष्य अपने प्रयासों से ही सुखों को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर पाता है | यह एक विचारणीय प्रश्न है | सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलू वास्तव में देखा जाए तो प्रत्येक मानव के जीवन में सुख और दुख दोनों निरंतर आते-जाते ही रहते हैं | सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख की पुनरावृत्ति होती ही रहती है | यह प्रकृति का एक सार्वभौमिक सिद्धांत है | अगर किसी को जीवन में केवल सुख ही मिलते रहे , तब हो सकता है कि प्रारंभ में उसे सुखों का आभास ज्यादा हो | परंतु धीरे-धीरे मानव को यह सुख नीरस ही लगने लगेंगे | जिसके कारण उसे सुखों से प्राप्त होने वाला आ
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काम शक्ति से भरपूर बनाने वाली औषधि | Kamshakti se bharpoor bananewali aoshdhi

                                  web - helpsir.blogspot.com काम शक्ति से भरपूर बनाने वाली औषधि यह तो सभी जानते हैं कि जीवन का आखिरी चरण अर्थात होना एक शारीरिक है | शरीर के बुड्ढे हो जाने पर व्यक्ति की सभी इंद्रियां और अंग प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं | प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूरे जीवन का एक लंबा अनुभव होता है | बुढ़ापे मे आदमी का शरीर अवश्य कमजोर हो जाता है , परन्तु उसका मन कभी कमजोर नहीं हो पाता है | क्योंकि व्यक्ति के मन की कोई उम् सीमा नहीं होती है | इसलिए मन सदैव ही युवा बना रहता है | दूसरे शब्दों में इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि मन पर काल का प्रभाव कभी नहीं पड़ता है | Mircle Drug मन की अनंत इच्छाएं Young medicine प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनेकों इच्छाएं करता रहता है , तथा उनकी पूर्ति के लिए आजीवन उसमें संलग्न भी रहता है | पर उसकी यह इच्छाएं केवल और केवल उसकी मृत्यु के बाद ही उसका पीछा छोड़ती है | ऐसी ही अनेकों इच्छाओं में कामेच्छा भी शामिल है | हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख और संपत्ति के साथ साथ कामेच्छा से भी जुड़ा रहना चाहता है | सुख और संपत

इलाज ; एसिड अटैक [1/15 ] D

web - gsirg.com इलाज ; एसिड अटैक के क्या कारण आजकल अखबारों में तेजाब से हमले की खबरें पढ़ने को मिल ही जाती हैं। तेजाब से हमला करने वाले व्यक्ति प्रायः मानसिक बीमार या किसी हीनभावना से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग अपनी हीनभावना को छिपाने तथा उसे बल प्रदान करने के लिए अपने सामने वाले दुश्मन व्यक्ति पर तेजाब से हमला कर देते हैं। कभी-कभी इसका कारण दुश्मनी भी होता है , इसके अलावा कभी-कभी लोग अपनी आत्मरक्षा के लिए भी एसिड अटैक का अवलंबन कर लेते हैं। कारण कुछ भी हो किंतु इसमें पीड़ित को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे हमलों का होना या ऐसी घटनाएं होना हर देश में आम बात हो गई है। इस्लामी देशों में लड़कियों को उनकी किसी त्रुटि के कारण तो ऐसी धमकियां खुलेआम देखने को मिल जाती हैं। \\ शरीर का बचाव \\ यदि के शरीर किसी पर तेजाब से हमला होता है , उस समय शरीर के जिस भाग पर तेजाब पड़ता है , वहां पर एक विशेष प्रकार की जलन होने लगती है | इस हमले में शरीर का प्रभावित भाग बेडौल , खुरदरा और भयानक हो सकता है | इस हमले से पीड़ित व्यक्ति शरीर की त

नारद का महल मोह

gsirg.com नारद का महल मोह       मित्रोंआज हम तुम्हे भारतीय धर्म ग्रन्थों से सम्बन्धित एक दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं, हमे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि यह कहानी आपका पूरा मनोरंजन करेगी।       एक बार देवर्षि नारद को तीनो लोकों का भ्रमण करते हुए मन मे ख्याल आया कि मै तो सभी देवी देवताओं के पास भ्रमण करके पहुँचता ही रहता हूँ। सभी के पास सभी सुख सुविधाओं से युक्त ऊँचे ऊँचे विशालकाय महल हैं। उनके मन में यह भी आया कि भगवान् श्रीकृष्ण के पास भी तो बहुत महल आदि हैं ही,यदि वे एक- आध हमको भी दे दें तो हम भी यहीं आराम से टिक जायें, नहीं तो इधर-उधर घूमते रहना पड़ता है। भगवान् के द्वारिका में बहुत महल थे।       यही विचार करते करते नारदजी पहुँच गये द्वारिकापुरी और भगवान् से कहा," भगवन् ! आपके पास तो बहुत से महल हैं, एक हमको भी दो तो हम भी आराम से यहीं रहें। आपके यहाँ साथ रहने के अलावा यहीं खाने- पीने का भी इंतजाम अच्छा ही है ,सो मेरा शेष जीवन भी आराम से कट जायेगा। "       भगवान् सोंच मे पड़ गये कि यह मेरा परमभक्त है, विरक्त संन्यासी है। अगर मैंने इसे महल दे दिया और  अगर कही

भयानक कर्कट रोग कैंसर

Web -gsirg.com भयानक कर्कट रोग कैंसर इस संसार में प्राणलेवा रोगों में अनेक रोगों का नाम लिया जा सकता है जैसे HIV पॉजिटिव होना , डेंगू , ब्लडप्रेशर , चेचक और कैंसर आदि | इन सभी मारक रोगों में कैंसर का महत्वपूर्ण स्थान है | यह एक दुष्ट रोग है , तथा जिस भी प्राणी को यह रोग हो जाता है , उसे अपने जीवन का अंत निकट दिखाई पड़ने लगता है | क्योंकि अभी तक पूर्ण रूप से इस के सफल और सटीक इलाज की खोज नहीं हो पाई है | केवल आयुर्वेद ही इसकी सफल चिकित्सा करने में पूरी कामयाबी हासिल कर सका है | आज हम इस रोग के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे , और उसके सफल इलाज का वर्णन भी करेंगे | कारण आयुर्वेद में कैंसर को बड़े ही सूक्ष्म रूप में इसका सफल अध्ययन किया है | आयुर्वेद में कैंसर को रक्तार्बुद के नाम से जाना जाता है | पहले इसे असाध्य रोग माना जाता था | इस रोग की सही जानकारी होने पर रोगी परेशान होकर इस संसार से जाने की तैयारी करने की सोचने लगता है | प्राचीन समय में इस रोग के रोगी '' न '' के बराबर मिलते थे , परंतु आजकल इसका उग्र र

कठिन रोगों के सरल इलाज भाग एक

gsirg.com कठिन रोगों के सरल इलाज भाग 01 मेरे विद्वान पाठकगणों आज हम आपको कुछ ऐसे कठिन लोगों की चिकित्सा करने के सरल उपाय बताने जा रहे हैं | जिसको जानकर आप आसानी से उन परेशानियों को दूर कर सकते हैं | यहां पर आज हम कुछ ऐसे नुस्खे बताएंगे , जिनका उपायोग करके आप आसानी से आसपास की चीजों से ही सफलतापूर्वक कर सकते हैं | अपनी परेशानी दूर करने के साथ ही आप , अपने परिचितों का भी आसानी से इलाज कर सकते हैं | \\\ होठों का फटना \\\ सर्दियों में अक्सर लोगों के होठ वातावरण की नमी के कारण फटने लगते हैं | तथा होंठों के दो फटे स्थानों के बीच पपड़ी पड़ जाती है | जिसे लोग प्रायः दांतो से कुतरते रहते हैं | ऐसा करने से उनकी परेशानी घटने के स्थान पर बढ़ती ही चली जाती है | इसके उपचार के लिए आप यह तरीका अपनाएं | उपचार आप सभी से एक छोटी सी शीशी का प्रबंध करें और उसमें सरसों का तेल भर ले | इस बात का ध्यान रखें कि व्यापारिक सरसों का तेल प्रयोग न करें , केवल विश्वसनीय जगह से कोल्हू से पेर कर निकाला हुआ तेल ही उपयोग में लायें | तेल को इस शीशी में भरने के बाद इसे सुटक्षित

माता की प्रसन्नता से मिलती है मुक्ति

web - GSirg.com माता की प्रसन्नता से मिलती है मुक्ति मां भगवती की लीला कथा के अनुकरण से शिवसाधक को कई प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं , जैसे शक्ति , भक्ति और मुक्ति आदि | माता की लीला कथा का पाठ करने से ही शक्ति के नए नए आयाम खुलते हैं | यह एक अनुभव की बात है | आदिकाल से ही माता के भक्तजन इस अनुभव को प्राप्त करते रहे हैं , और आगे भी प्राप्त करते रहेंगे | भक्तों का ऐसा मानना है , कि शक्ति प्राप्त का इससे सहज उपाय अन्य कोई नहीं है | इसके लिए दुर्गा सप्तशती की पावन कथा का अनुसरण करना होता है , जो लोग धर्म के मर्मज्ञ हैं तथा जिनके पास दृष्टि है केवल वही लोग इस सत्य को सहज रूप में देख सकते हैं | ----------------------------------------------------------------------- ------------------------------------------------------------------------ दुर्गा सप्तशती का पाठ माता की भक्ति करने वालों के जानकारों का विचार है , कि माता की शक्ति प्राप्त का साधन , पवित्र भाव से दुर्गा सप्तशती के पावन पाठ करने पर ही प्राप्त हो सकता है | इस पवित्र और शक्ति दाता पावन कथा