gsirg.com नारद का महल मोह मित्रोंआज हम तुम्हे भारतीय धर्म ग्रन्थों से सम्बन्धित एक दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं, हमे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि यह कहानी आपका पूरा मनोरंजन करेगी। एक बार देवर्षि नारद को तीनो लोकों का भ्रमण करते हुए मन मे ख्याल आया कि मै तो सभी देवी देवताओं के पास भ्रमण करके पहुँचता ही रहता हूँ। सभी के पास सभी सुख सुविधाओं से युक्त ऊँचे ऊँचे विशालकाय महल हैं। उनके मन में यह भी आया कि भगवान् श्रीकृष्ण के पास भी तो बहुत महल आदि हैं ही,यदि वे एक- आध हमको भी दे दें तो हम भी यहीं आराम से टिक जायें, नहीं तो इधर-उधर घूमते रहना पड़ता है। भगवान् के द्वारिका में बहुत महल थे। यही विचार करते करते नारदजी पहुँच गये द्वारिकापुरी और भगवान् से कहा," भगवन् ! आपके पास तो बहुत से महल हैं, एक हमको भी दो तो हम भी आराम से यहीं रहें। आपके यहाँ साथ रहने के अलावा यहीं खाने- पीने का भी इंतजाम अच्छा ही है ,सो मेरा शेष जीवन भी आराम से कट जायेगा। " भगवान् सोंच मे पड़ गये कि यह मेरा परमभक्त है, विरक्त संन्यासी है। अगर मैंने इसे महल दे दिया और अगर कही
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