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अक्तूबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

[ c14 ] गंदे और प्रदूषित रक्त को शुद्ध करने वाली प्रभावी औषधियां [ भाग एक ]

Gsirg.com गंदे और प्रदूषित रक्त को शुद्ध करने वाली प्रभावी औषधियां  [ भाग एक ]              अजवाइन से रक्त का शोधन                        आजकल वातावरण के बदलाव और आपने खानपान आहार - विहार आज के कारणों से लोगों का रक्त दूषित हो रहा है |   जिसके कारण उन्हें कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ता है जैसे रक्तातिसार खुजली चलना खाए हुए अन्य से जलन होना | यह बीमारियां रक्त के प्रदूषण के कारण होती हैं || इनके प्रभावी इलाज के लिए हम आज एक प्राचीन नुस्खे के विषय में अध्ययन करेंगे जो दूषित रक्त को अतिशीघ्र शुद्ध करता है |          नुस्खा बनाने की विधि और सेवन विधि          रक्त को शुद्ध करने वाले इस नुस्खे को बनाने के लिए बाजार से अजवाइन लानी पड़ती है | अजवाइन एक सर्वत्र प्राप्त औषधीय है | यह हमारे रसोईघर और आसपास के लोगों के पास तथा व्यापारियों के पास आसानी से उपलब्ध हो जाती है | इसकी सौ ग्राम मात्रा लाकर उसे छाया में सुखाकर साफ कर लेते हैं || जितनी मात्रा में अजवाइन लेते हैं उतनी ही मात्रा में मिश्री भी ले लेते हैं | दोनों सामग्रियों को कूट - पीसकर   चूर्ण बना लेते हैं | यह चूर्ण

एक छिपकली की कहानी

एक प्रेरणादायक कहानी यह सच्ची कहानी हम सभी को आशावान् परोपकारी और कर्मशील बने रहने की शिक्षा एवम् प्रेरणा देती है। जब एक छिपकली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं?       [यह जापान में घटी, एक सच्ची घटना है।] अपने जर्जर मकान का नवीनीकरण कराने के लिये, एक जापानी अपने मकान की दीवारों को तोड़ रहा था। जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती हैं, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं।       जब वह व्यक्ति उस मकान की लकड़ी की दीवारों को चीर-तोड़ रहा था, तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली चिपकी थी ,क्योंकि घर के निर्माण के समय ,जब लकड़ियों मे कीलें ठोकी जा रही थी.उन्ही कीलों मे बाहर से ठोकी गयी एक कील उसके पैर को भेदती हुई ठुकी थी ।उस कील के कारण वह छिपकली एक ही जगह पर जमी पड़ी थी।         उस जापानी ने जब  यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई ।परन्तु द्रवित होने के साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया। जब उसने आगे जाँच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पाँच साल पहले ठोंकी गई थी!        वह सोचने लगा कि जब एक छिपकली इस स्थिति में पाँच साल तक रही तब इतने लम्बे समयान्तराल त

[ b14 ] आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा

gsirg.com आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा जिस प्रकार से हमारे धर्म ग्रंथों में पूजनीय देवी देवताओं के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है | ठीक उसी प्रकार आदिशक्ति मां भगवती के भी अनेक रूपों का वर्णन किया गया है | मां भगवती की लीला कथाओं में उनके रूपों और प्रभाव का विस्तृत उल्लेख किया गया है | इन लीलाकथाओं में माता के अनगिनत रूपों का वर्णन किया गया है | इन्हीं में माता के एक रूप का नाम रूपनिद्रा का भी है | इसी रूपनिद्रा का वर्णन और विवरण इस लेख के माध्यम से किया जा रहा है | पाठकगण माता के इस रूप का ज्ञान प्राप्त कर उनकी कृपा प्राप्त करने की अभिलाषा पूर्ण कर सकते हैं | \\ माता की रूपनिद्रा \\ जगतमाता मां भगवती के इस रूप को सभी नमन करते हैं | बताया जाता है , कि आदिशक्ति माता अपने इस रूप में संसार के सभी प्राणियों को शांति , विश्रांति तथा जीवन ऊर्जा का वरदान देती हैं | जो भक्त माता की भक्ति करते हैं , केवल वही माता की कृपा पाते हैं | इसके अलावा जो व्यक्ति माता से कोई लगाव नहीं रखते वह प्राणी अपने जीवन में माता की कृपा से वंचित रह जाते हैं | भक्त की भक्ति का

[ 14 ] गुर्दे की पथरी

gsirg.com गुर्दे की पथरी हमारे शरीर का पिछला भाग पीठ कहलाता है | इसके निचले भाग में शरीर के भीतर दोनों ओर सेम के आकार की दो संरचनाएं पाई जाती है , जिन्हें गुर्दा कहा जाता है | गुर्दे शरीर के फिल्टर हैं | यह दोनों ही फिल्टर मूत्र मार्ग में आए हुए दूषित पदार्थों को छानकर अलग करते हैं | लोगों के गुर्दे में जब दूषित पदार्थों काफी मात्रा इकट्ठा होकर एक पिंड बना लेते है | इस प्रकार की बनी हुई संरचनाओं को पथरी कहते हैं | पथरी का स्थान गुर्दे में होता है | इसलिए इन्हें गुर्दे की पथरी कहते हैं | यह बीमारी मूत्र संस्थान से संबंध रखने वाली होती है , और पीड़ित को बहुत ही कष्ट देती जाती है | इस रोग से पीड़ित व्यक्ति रोग से तिलमिलाकर बेहोश भी हो जाता है | गुर्दे में पथरी होने के कारण वास्तव में गुर्दे मूत्र से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं | यदि किसी कारणवश इनकी प्रक्रिया बाधित होती है , उसी समय व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो जाता है | इस रोग में मूत्र के साथ निकलने वाले चूने आदि के रूप में विभिन्न छारीय तत्व , जब किसी कारण

[ 14 ] आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा

gsirg.com आदिशक्ति मां भगवती की रूप निद्रा जिस प्रकाAर से हमारे धर्म ग्रंथों में पूजनीय देवी देवताओं के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है | ठीक उसी प्रकार आदिशक्ति मां भगवती के भी अनेक रूपों का वर्णन किया गया है | मां भगवती की लीला कथाओं में उनके रूपों और प्रभाव का विस्तृत उल्लेख किया गया है | इन लीलाकथाओं में माता के अनगिनत रूपों का वर्णन किया गया है | इन्हीं में माता के एक रूप का नाम रूपनिद्रा का भी है | इसी रूपनिद्रा का वर्णन और विवरण इस लेख के माध्यम से किया जा रहा है | पाठकगण माता के इस रूप का ज्ञान प्राप्त कर उनकी कृपा प्राप्त करने की अभिलाषा पूर्ण कर सकते हैं | \\ माता की रूपनिद्रा \\ जगतमाता मां भगवती के इस रूप को सभी नमन करते हैं | बताया जाता है , कि आदिशक्ति माता अपने इस रूप में संसार के सभी प्राणियों को शांति , विश्रांति तथा जीवन ऊर्जा का वरदान देती हैं | जो भक्त माता की भक्ति करते हैं , केवल वही माता की कृपा पाते हैं | इसके अलावा जो व्यक्ति माता से कोई लगाव नहीं रखते वह प्राणी अपने जीवन में माता की कृपा से वंचित रह जाते हैं | भक्त की भक्ति क

[ 14 ] श्वास रोग या दमा का एक ही सप्ताह में इलाज

gsirg.com श्वास रोग या दमा का एक ही सप्ताह में इलाज हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण संस्थान हैं , जिनमें श्वसन संस्थान का महत्वपूर्ण स्थान है | इसी संस्थान की प्रक्रिया द्वारा मनुष्य शरीर में प्राण वायु [ आक्सीजन ] जाती है , और दूषित वायु [कार्बन डाई आक्साइड ] बाहर निकलती है | सांस लेने की प्रक्रिया श्वास नली के माध्यम से होती है | किन्हीं कारणों से यदि श्वास नली में सूजन आ जाए या उसमें कफ जमा हो जाए तो सांस लेने में कठिनाई होती है | श्वास नलिका के संक्रमण को श्वास रोग का होना कहा जाता है , इस रोग में पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में बहुत ही दिक्कत होती है | लक्षण श्वसन संस्थान की श्वसन क्रिया का माध्यम बनने वाली श्वास नली में सूजन होना इसका एक प्रमुख कारण है | इसके लिए लोगों के आसपास का दूषित वातावरण अनियमित आहार विहार और दूषित खानपान जिम्मेदार है | वातावरण के प्रदूषण से तथा खान पान के प्रदूषण और अनियमितता से श्वास नली पर प्रभाव पड़ता है | जिसके कारण श्वास नली में कफ इकट्ठा हो जाता है | श्वास नली में कफ इकट्ठा हो जाने से वायु के आने जाने का क्रम बाधित होता

इलाज : - हिस्टीरिया

gsirg.com helpsir.blogspot.com इलाज : - हिस्टीरिया यह महिलाओं को होने वाला एक गुप्त रोग है ,जो अधिकतर जवान महिलाओं को हो जाया करता है | इसके कारण महिलाओं को अत्यधिक परेशानी होती है | यदि किसी कारण से किसी महिला की यौन इच्छा की पूर्ति नहीं हो पाती है ,अर्थात कामेच्छा आधी अधूरी रह जाती है | इसी के कारण उन्हें यह रोग हो जाया करता है | यौन इच्छा की पूर्ति ना हो पाने पर महिलाएं अपने आप को अतृप्त मानने लगती है | ऐसी अवस्था में उनके मन मस्तिष्क में कुंठा की एक भावना आ जाती है | जिसके कारण यह रोग धीरे-धीरे उनके शरीर में पांव पसारने लगता है , और कालांतर में अपना विकट रूप धारण कर लेता है | यह बीमारी अगर एक बार हो जाए तो बड़ी परेशानी से दूर हो पाती है | सामान्य लक्षण इस रोग से पीड़ित महिला को कभी भी , किसी समय और किसी भी स्थान बेहोशी आ जाती है | बेहोशी की हालत में उसके हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं | उसका चेहरा विकृत होकर निस्तेज हो जाता है | इसके अलावा उसके मुंह से झाग भी निकलने लगती है | रोगि

धर्म : - तुम वही ही हो

gsirg.com helpsir.blogspot.com धर्म : - तुम वही ही हो प्रत्येक मानव आदि काल से ही यह जानने का इच्छुक रहा है कि वह क्या है तथा इस संसार मे किसलिए आया है | इन सभी को जानने के लिए वह विद्वानों , ऋषि-मुनियों और योगियों के संपर्क में जाता रहता है | तथा सदा ही अपने को जानने का प्रयास करता रहता है | काफी प्रयासों के बाद उसे ज्ञात होता है ,कि वह तो स्वयं ही परमात्मा का अंश है | यह जान लेने के पश्चात ''तुम वहीं ही हो '' वाक्य उसके लिए बहुत ही सारगर्भित हो जाता है | यह बात तो उसके के समस्त आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव का सार है | प्रत्येक मानव को ज्ञानीजन यह बताते रहते हैं , कि इस तथ्य पर चिंतन और मनन करने की जरूरत होती है | ज्ञान की प्राप्ति ज्ञान की प्राप्ति भीएक ऐसा सच है जिस को जानने की बहुत अधिक आवश्यकता होती है | इसका कारण है कि बहुत से लोग इस ज्ञान को जान ही नहीं पाते हैं | जिन लोगों को आत्मज्ञान हो पाता है या फिर जिन्होंने ईश्वर से साक्षात्कार किया है , केक्ल वही लोग इसे