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एक छिपकली की कहानी

एक प्रेरणादायक कहानी
यह सच्ची कहानी हम सभी को आशावान् परोपकारी और कर्मशील बने रहने की शिक्षा एवम् प्रेरणा देती है।

जब एक छिपकली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं?

      [यह जापान में घटी, एक सच्ची घटना है।]
अपने जर्जर मकान का नवीनीकरण कराने के लिये, एक जापानी अपने मकान की दीवारों को तोड़ रहा था। जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती हैं, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं।
      जब वह व्यक्ति उस मकान की लकड़ी की दीवारों को चीर-तोड़ रहा था, तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली चिपकी थी ,क्योंकि घर के निर्माण के समय ,जब लकड़ियों मे कीलें ठोकी जा रही थी.उन्ही कीलों मे बाहर से ठोकी गयी एक कील उसके पैर को भेदती हुई ठुकी थी ।उस कील के कारण वह छिपकली एक ही जगह पर जमी पड़ी थी।
        उस जापानी ने जब  यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई ।परन्तु द्रवित होने के साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया। जब उसने आगे जाँच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पाँच साल पहले ठोंकी गई थी!
       वह सोचने लगा कि जब एक छिपकली इस स्थिति में पाँच साल तक रही तब इतने लम्बे समयान्तराल तक जीवित कैसे थी! दीवार के अँधेरे पार्टीशन के बीच, बिना हिले-डुले? यह सब कुछ अविश्वसनीय, असंभव और चौंका देने वाला था!
        उसकी समझ से यह परे था कि एक छिपकली, जिसका एक पैर, एक ही स्थान पर पिछले पाँच साल से कील के कारण चिपका हुआ था और जो अपनी जगह से एक इंच भी न हिली थी, वह कैसे जीवित रह सकती है?
         अब जिज्ञासावश उसने यह देखने और जानने के लिये कि वह छिपकली अब तक क्या करती रही है और कैसे अपने भोजन की जरुरत को पूरा करती रही है, अपना काम रोक दिया।अब उसने सावधानीपूर्वक उसकी निगरानी शुरू कर दी।
         थोड़ी ही देर बाद, पता नहीं कहाँ से, एक दूसरी छिपकली प्रकट हुई, वह अपने मुँह में भोजन दबाये हुये थी - उस फँसी हुई छिपकली को खिलाने के लिये! उफ़्फ़! वह सन्न रह गया! यह दृश्य उसके दिल को अंदर तक छू गया! वह यह सोचकर सन्न रह गया कि
एक छिपकली, जिसका एक पैर कील से ठुका हुआ था, को, एक दूसरी छिपकली पिछले पाँच साल से भोजन खिला रही थी!
        अद्भुत! दूसरी छिपकली ने अपने साथी के बचने की उम्मीद नहीं छोड़ी थी, वह पहली छिपकली को पिछले पाँच साल से भोजन करवा रही थी।
         उसकी सोच आगे बढी ,अजीब है, एक छोटा-सा जंतु तो यह कर सकता है, पर हम मनुष्य जैसे प्राणी, जिसे बुद्धि में सर्वश्रेष्ठ होने का आशीर्वाद मिला हुआ है, दूसरे असहाय की इस तरह से मदद क्यों नहीं कर सकता!
        कृपया अपने प्रिय लोगों को कभी न छोड़ें!  लोगों को उनकी तकलीफ़ के समय अपनी पीठ न दिखायें! अपने आप को महाज्ञानी या सर्वश्रेष्ठ समझने की भूल न करें! ऐसा करके आप अपनो के बीच एक आदर्श उदाहरण पेश कर सकते हैं।आज आप सौभाग्यशाली हो सकते हैं पर कल तो अनिश्चित ही है और कल चीज़ें बदल भी सकती हैं!ऐसे दृष्टान्त पर विचारोपरान्त मुझे लगता है कि प्रकृति ने हमारी अंगुलियों के बीच शायद जगह भी इसीलिये दी है ताकि हम किसी दूसरे का हाथ थाम सकें!
    आप आज किसी का साथ दीजिये, कल कोई-न-कोई दूसरा अवश्य ही आपका साथ दे देगा! आपकी सेवा इबादत बेकार नही जायेगी।
🙏🙏 सब एक रहे 🙏🙏

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