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इलाज ; दांतो की पीड़ा की परेशानियां और उनका इलाज
हमारे शरीर में दांतों का स्थान अन्य अंगों की तरह बहुत महत्वपूर्ण तो नहीं है , फिर भी यह शरीर का अभिन्न अंग है | छोटे बच्चे , युवा , किशोर , जवान और वृद्ध सभी इन परेशानियों से कभी न कभी परेशान होते ही हैं | हम सभी जानते हैं कि दांतों का मुख्य कार्य मुंह में ले जाए गए भोजन को पीसना और कुचलकर लुग्दी बनाना होता है | दांतो की कोई भी परेशानी होने पर जब दांत भोजन को पीसकर लुगदी नहीं बना पाते हैं , तब भोजन खंडित रूप में ही आमाशय में प्रवेश कर जाता है | जिससे भोजन का बहुत बड़ा भाग पच नही पाता है | भोजन का ठीक-ढंग से पाचन न हो पाने पर शरीर में तरह तरह की परेशानियां तथा बीमारियां होने लगती है | इसलिए दातों के रखरखाव की बहुत ज्यादा आवश्यकता है | इसीलिए दांतों की देखभाल आदमी की अनिवार्य आवष्यकताओं के अंतर्गत आती है
दंत रोग विशेषज्ञों के अनुसार 60 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लगभग 80% महिलाओं के तथा लगभग 70% पुरुषों के दांत गिरने शुरू हो जाते हैं | इसके अलावा अगर आप पाश्चात्य देशों के बजाय , पूर्व दिशा में निवास करते हैं , तब दांतो के गिरने की आशंका दोगुनी हो जाती है | इसका सही कारण क्या है , यह जानने के प्रयास में औषधि विज्ञानी लगे हुए हैं , फिर भी अभी तक इसका पूर्णरूपेण सही कारण नहीं खोज पाए हैं | एक संभावना यह व्यक्त की जाती है , कि जब पानी में फ्लोरीन [ flourine ] नामक तत्व की कमी हो जाती है , तब दांतों का गिरना प्रारंभ हो जाता है | फ्लोरीन दांतों को नष्ट होने से बचाती है | यह बात अन्य रसायनों पर भी निर्भर करती है | दांतो के गिरने का मुख्य कारण कुछ प्रकार के भोजन हैं | जैसे फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड आदि | प्रयोगों और निरीक्षणों में ऐसा पाया गया है कि , मधुर पेयों का सेवन करने से भी दांत जल्दी गिरते हैं |
दंत चिकित्सकों का मानना है कि , जब दांत की जड में कीड़ा लग जाता है तब व्यक्ति को बहुत ही असहनीय कष्ट होता है | एकांत अथवा रात होने पर दांतो की इस पीड़ा का एहसास बहुत ज्यादा होता है | भिन्न भिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाओं से दंत पीड़ा कुछ समय के लिए तो शांत हो सकती है , परंतु रोगी को पूरी तरह से आराम नहीं मिल पाता है | जिसके कारण उसे यह दर्द पुनः पुनः होता रहता है | कहने का अर्थ यह है कि रोग का समूल नाश नहीं हो पाता है | दांत का कीड़ा निकालने के लिए आजतक एलोपैथिक पद्धति में कोई भी पेटेंट इलाज नहीं बना है | परंतु हम आपको एक ऐसा इलाज बताएंगे , जिससे आपके दांतों के कीड़े दूर हो जाएंगे |
दांत से कीड़ा निकालने की औषधि
आयुर्वेदिक औषधियों के विक्रेता [ पंसारियों ] के यहां भिन्न भिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां मिलती हैं | इन में से एक औषधि का नाम वायविडंग है | इसे गुजराती में वावडींग , मराठी में वावडिग तथा अंग्रेजी मे [ Babreng ] कहते हैं | यदि आप कीड़ों की चिकित्सा करना चाहते हैं , तो किसी पंसारी के यहां से इस औषधि के लगभग लगभग 10 ग्राम बीज ले आएं | अब इन बीजों को कूटकर जो चूर्ण बना लें | अब इस चूर्ण से वायविडंग के बीज के बराबर बराबर मात्रा लेकर मलमल के कपड़े की छोटी-छोटी पोटलिया बनाकर लें | अब इन पोटलियों को किसी छोटे बर्तन में लगभग 20 ग्राम पानी में डालकर पकाना शुरू करें | जब बर्तन का सारा पानी जल जाए , अर्थात सारा पानी पोटलियों में शोषित हो जाए तब , एक गरम गरम पोटली दर्द करने वाले दांत के नीचे दबा कर सो रहें | प्रातः काल पोटली कीड़ों से लिपटी हुई मिलेगी | अब इस पोटली को निकाल कर फेंक दे | इसी प्रकार दूसरी रात्रि को भी यह प्रयोग करें , 3 दिन के प्रयोग से आप की दाढ में लगे हुए सारे कीड़े बाहर आ जाएंगे , और आपको दांत के दाढ दर्द से पूर्णरूपेण राहत मिल जाएगी |
साधारण दांत दर्द की आश्चर्यजनक औषधि
चाहे दांत की जड़ में कीड़ा लग गया हो , या दांत में साधारण सा दर्द हो तब भी आदमी को असहनीय दर्द होता है | कभी-कभी कीड़े नहीं लगे होते हैं , फिर भी दांत दर्द करने लगते हैं | इसके लिए आज हम आपको एक ऐसी ओषधि बताने जा रहे है जो आपको कीड़े लगे दांत और साधारण दर्द दोनों में ही रामबाण की तरह लाभ करेगी | ऐसी अवस्था में आपको अपने घर में ही इलाज की औषधियां मिल जाएंगी | दांत दर्द के लिए आप फिटकरी तथा लौंग बराबर बराबर मात्रा में लेकर किसी खरल में डालकर उनका बहुत ही महीन महीनचूर्ण बना लें | अब इसकी थोड़ी सी मात्रा लेकर दांत पर 5 से 7 मिनट तक मलें | दोबारा दर्द हो जाए तो यह प्रक्रिया एक बार पुनः दोहरा दे | केवल दो बार के प्रयोग से ही आपके दांतों का दर्द रफूचक्कर हो जाएगा , और आप को दांत दर्द तथा दांत के कीड़ों , दोनों ही परेशानियों से निजात मिल जाएगी |
जय आयुर्वेद
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