सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

1 इलाज ; मोटापा

web - gsirg.com helpsir.blogspot.in

इलाज ; मोटापा

इस दुनिया में हर एक प्राणी सुगठित , सुंदर और सुडोल तथा मनमोहक शरीर वाला होना चाहता है | इसके लिए वह तरह तरह के व्यायाम करता है | सुडौल शरीर पाने के लिए वह हर व्यक्ति जो मोटापे से परेशान है , प्राणायाम और योग का भी सहारा लेता है | लेकिन उसका वातावरणीय प्रदूषण , अनियमित आहार-विहार उसके शरीर को कहीं ना कहीं से थोड़ा या बहुत बेडौल कुरूप या भद्दा बना ही देते हैं | आदमियों के शरीर में होने वाली इन कमियों मैं एक मोटापा भी है | जिसके कारण व्यक्ति का शरीर बेबी डॉल जैसा दिखाई पड़ने लगता है | बहुत से यत्न और प्रयत्न करने के बाद भी उसे इसमें सफलता नहीं मिल पाती है | वस्तुतः शरीर का मोटा होना उस व्यक्ति के लिए लगभग अभिशाप सा होता है |

वसा की आवश्यकता

हमारे शरीर के अंगों और प्रत्यंगों को ढकने का कार्य बसा या चर्बी का होता है | जिसकी एक मोटी परत त्वचा के नीचे विद्यमान रहती है | इस चर्बी का काम शरीर को उष्णता प्रदान करना है | इसके अलावा यह शरीर में चिकनाई भी बनाए रखती है | इस प्रकार से यह शरीर रक्षण का काम भी करती है | और आवश्यकता पड़ने पर शरीर के अन्य रक्षात्मक कार्य भी करती है | इसकी एक निश्चित और निर्धारित मात्रा ही शरीर के लिए पर्याप्त होती है | इसकी अधिक मात्रा से शरीर में मोटापन लाना शुरू कर देती है | इसकी मात्रा का शरीर में बढ़ना , इसकी निर्धारित मात्रा शरीर के लिए यदि वरदान है तो इसकी अधिकता एक तरह से शरीर के लिए अभिशाप बन जाती है |

मोटापा होने के कारण

मोटापा बढ़ने का प्रमुख कारण है , लोगों द्वारा चिकनाई युक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना होता है | भोजन को ठीक से न चबाने के कारण कच्चा आहार रस ही चर्बी को पोषण प्रदान करता है | गर्म भोजन करना , गर्म जल से स्नान करना और गर्म कपड़ों का पहनना भी कभी-कभी चर्बी बढ़ाने वाला साबित होता है | जंकफूड तथा फ़ास्टफ़ूड जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन , दिन में सोना तथा आरामदायक जीवन व्यतीत करना भी मोटापा बढ़ने के कारण है | आरामदायक जीवन व्यतीत करना और परिश्रम न करना ही ऐसे कारक हैं , जिनसे शरीर की पिट्यूटरी ग्रंथि और चुल्लिका ग्रंथि में वृद्धि होने लगती है | और शरीर मोटा दिखाई पड़ने लगता है | इसके अलावा अन्य स्रोतों में चर्बी के रुक जाने के कारण भी खून की वृद्धि न होकर चर्वी ही बढ़ती है |

लक्षण

मोटापे की प्रारंभिक स्थिति में स्तन तथा पेट पर भारीपन आने लगता है | बाद में यह भारीपन धीरे धीरे सारे शरीर पर मोटापा लाना शुरू कर देता है | इसके बाद व्यक्ति के कूल्हों पर भारीपन आने लगता है | मोटापा होने के कारणों में प्यास का अधिक लगना , स्वास्थ्य का उठा हुआ सा रहना तथा थोड़े ही परिश्रम से ही सांस फूलना और थकावट होना इसके प्रमुख लक्षण हैं | मोटापे के कारण गले में घुरघुराहट होना , पसीने का अधिक आना , शरीर का दुर्गंधित रहना , व्यक्ति के मस्तिष्क में ग्लानि का बना रहना और दुर्बलता का अधिक अनुभव होना आदि भी इसके लक्षण है |


अन्य उपद्रव


यदि शरीर का मोटापन ज्यादा दिनों तक बना रहता है , तो उस व्यक्ति को मंदबुखार , बवासीर , भगंदर और प्रमेह रोग हो जाते हैं | शरीर में मेधाशक्ति की कमी हो जाती है जिसके कारण दुर्बलता भी बढ़ जाती है | इसी के कारण शरीर में कामवासना बनी रहने पर भी उस व्यक्ति की कामशक्ति क्षीण हो जाती है | जिसके फ़लस्वरूप वह स्त्रीसंसर्ग के अयोग्य हो जाता है , तथा कामनापूर्ति न होने से लज्जित होता रहता है | मधुमेह , हृदयरोग , ब्लडप्रेशर जैसी भयंकर बीमारियां उसे चारों ओर से घेर लेती हैं |


उपाय


मोटापे वाले व्यक्ति को वसा युक्त पदार्थों का सेवन जितनी जल्दी सके बन्द कर देना चाहिए | इसके अतिरिक्त उसे भोजन की मात्रा कम कर के समय-समय पर उपवास करते रहना चाहिए | नियमित साधारण परिश्रम , व्यायाम , प्राणायाम आदि नियमित रूप से करने चाहिए | उसे सुबह शाम टहलने के बाद , पानी में नींबू का रस निचोड़कर सुबह-शाम पीना चाहिए | नमक की मात्रा कम करके तथा नियमित मालिश करके भी चर्बी को पिघलाया जा सकता है | चर्बी के पिघलनेसे खून का दौरा भी शरीर में ठीक तरह से होने लगता है |


उपचार


जिस व्यक्ति को मोटापा हो जाए उसे चाहिए कि वह बाजार से पर्याप्त मैं नींबू और शहद लाकर घर में रख ले | प्रातःकाल बाजार से लाए नींबुओं को निचोड़ कर उनका 25 ग्राम रस निकालें | ततपश्चात उस रस में 20 ग्राम शहद मिलाकर तथा लगभग 250 ग्राम पानी में घोलकर शरबत जैसा तैयार करें | बाद में इस तैयार शरबत को पी जाए | रोगी जिससमय शरबत पिए , उससमय उसे खाली पेट होना चाहिए | इसी प्रकार शाम को भी इसी तरह शरबत बनाकर पी लिया करें | मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को यह प्रयोग 3 से 5 महीने तक करना होता है | इसके निरन्तर नियमित सेवन से शरीर पर कितनी भी चर्बी जमा हो चुकी है , आसानी से पिघल जाती है | शरीर में जितना ज्यादा चर्बी की मात्रा होगी उसी के अनुसार औषधि सेवन का समय भी बढ़ सकता है | यह एक ऐसी निरापद ,परीक्षित और अनुभूत औषधि है , जो शरीर से हर प्रकार की चर्बी को घटा देती है | इसके नियमित प्रयोग से शरीर ,पहले की तरह ही सुगठित और सुडौल बन जाता है | इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि मोटापा घटाने की यह एक आश्चर्यजनक औषधि है , इसके स्तर की दूसरी अन्य कोई चर्बी घटाने वाली औषधि शायद ही मिले |

जय आयुर्वेद


web - gsirg.com helpsir.blogspot.in

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

इलाज ; एसिड अटैक [1/15 ] D

web - gsirg.com इलाज ; एसिड अटैक के क्या कारण आजकल अखबारों में तेजाब से हमले की खबरें पढ़ने को मिल ही जाती हैं। तेजाब से हमला करने वाले व्यक्ति प्रायः मानसिक बीमार या किसी हीनभावना से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग अपनी हीनभावना को छिपाने तथा उसे बल प्रदान करने के लिए अपने सामने वाले दुश्मन व्यक्ति पर तेजाब से हमला कर देते हैं। कभी-कभी इसका कारण दुश्मनी भी होता है , इसके अलावा कभी-कभी लोग अपनी आत्मरक्षा के लिए भी एसिड अटैक का अवलंबन कर लेते हैं। कारण कुछ भी हो किंतु इसमें पीड़ित को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे हमलों का होना या ऐसी घटनाएं होना हर देश में आम बात हो गई है। इस्लामी देशों में लड़कियों को उनकी किसी त्रुटि के कारण तो ऐसी धमकियां खुलेआम देखने को मिल जाती हैं। \\ शरीर का बचाव \\ यदि के शरीर किसी पर तेजाब से हमला होता है , उस समय शरीर के जिस भाग पर तेजाब पड़ता है , वहां पर एक विशेष प्रकार की जलन होने लगती है | इस हमले में शरीर का प्रभावित भाग बेडौल , खुरदरा और भयानक हो सकता है | इस हमले से पीड़ित व्यक्ति शरीर की त...

[ j/1 ] बूढ़ों को काम शक्ति से भरपूर बनाने वाली औषधि

web - gsirg.com बूढ़ों को काम शक्ति से भरपूर बनाने वाली औषधि यह तो सभी जानते हैं कि जीवन का आखिरी चरण अर्थात बुढ़ापा होना एक शारीरिक प्रक्रिया है | शरीर के बुड्ढे हो जाने पर व्यक्ति की सभी इंद्रियां और अंग प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं | प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूरे जीवन का एक लंबा अनुभव होता है | बुढ़ापे मे आदमी का शरीर अवश्य कमजोर हो जाता है , परन्तु उसका मन कभी कमजोर नहीं हो पाता है | क्योंकि व्यक्ति के मन की कोई उम्र उम्र सीमा नहीं होती है | इसलिए मन सदैव ही जवान बना रहता है | दूसरे शब्दों में इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि मन पर काल का प्रभाव कभी नहीं पड़ता है | मन की अनंत इच्छाएं प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनेकों इच्छाएं करता रहता है , तथा उनकी पूर्ति के लिए आजीवन उसमें संलग्न भी रहता है | पर उसकी यह इच्छाएं केवल और केवल उसकी मृत्यु के बाद ही उसका पीछा छोड़ती है | ऐसी ही अनेकों इच्छाओं में कामेच्छा भी शामिल है | हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख और संपत्ति के साथ साथ कामेच्छा से भी जुड़ा रहना चाहता है | सुख और संपत्ति की इच्छाओं की पूर्ति के बाद अथवा न होने के बाद भी ,व...