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मेरे विद्वान पाठकगणों आज हम आपको कुछ ऐसे कठिन लोगों की चिकित्सा करने के सरल उपाय बताने जा रहे हैं | जिसको जानकर आप आसानी से उन परेशानियों को दूर कर सकते हैं | यहां पर आज हम कुछ ऐसे नुस्खे बताएंगे , जिनका उपायोग करके आप आसानी से आसपास की चीजों से ही सफलतापूर्वक कर सकते हैं | अपनी परेशानी दूर करने के साथ ही आप , अपने परिचितों का भी आसानी से इलाज कर सकते हैं |
होठों का फटना
सर्दियों में अक्सर लोगों के होठ वातावरण की नमी के कारण फटने लगते हैं | तथा होंठों के दो फटे स्थानों के बीच पपड़ी पड़ जाती है | जिसे लोग प्रायः दांतो से कुतरते रहते हैं | ऐसा करने से उनकी परेशानी घटने के स्थान पर बढ़ती ही चली जाती है | इसके उपचार के लिए आप यह तरीका अपनाएं |
उपचार
आप सभी से एक छोटी सी शीशी का प्रबंध करें और उसमें सरसों का तेल भर ले | इस बात का ध्यान रखें कि व्यापारिक सरसों का तेल प्रयोग न करें , केवल विश्वसनीय जगह से कोल्हू से पेर कर निकाला हुआ तेल ही उपयोग में लायें | तेल को इस शीशी में भरने के बाद इसे सुटक्षित रखें | सुबह प्रातः उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर नहाने से पहले अपने हाथ की तर्जनी उंगली को इस तेल में डुबोकर , उंगली पर लगा हुआ तेल अपनी नाभि में लगाएं | इस शीशी को हरदम अपने पास ही रखें | दिन में तीन चार बार या जितनी बार हो सके इस तेल को नाभि पर लगाया करें | लगभग 3 या 4 दिन के बाद आपके होठों की खुश्की दूर होनी शुरू हो जाएगी , और इसके नियमित रूप से लगते रहने से धीरे-धीरेहोंठ फटना बिल्कुल ही बंद हो जाएंगे | शीशी अगर 3 से 5 मिली की है तो उसे आपको अपने पास रखने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी | यह इलाज किसी भी लिप ऑइंटमेंट से कई गुना बेहतर है | और शीशी छोटी हो तो पास रखने में भी सुविधा रहती है |
हृदय रोग जड़ मूल से खत्म
विश्व के कठिनतम रोगों में इस रोग का स्थान है | इस बीमारी से ग्रस्त प्राणी अगर सावधानी नहीं बरतता है , तब उसे अपना जीवन पूर्ण करने से पहले ही स्वर्गवासी होना पड़ सकता है | हम आपको एक ऐसा इलाज बता रहे हैं , जिसका प्रयोग करने से आपका हृदय रोग जड़ से खत्म हो जाएगा |
उपचार
आप कहीं से कुछ साबुत काली उड़द तथा इतना ही शुद्ध गुग्गुल और इतना ही एरंड तेल और मक्खन इकट्ठा कर ले | जिस दिन से इलाज प्रारंभ करें उसके 1 दिन पहले, 12 ग्राम काली साबुत उड़द किसी कांच के गिलास में डाल दे | अब इस गिलास को गर्म पानी से भर दें | दूसरे दिन प्रातः काल गिलास से उड़द के निकाल कर उन का छिलका दूर कर ले | इसके पश्चात छिलका उतारे हुए काली उड़द के दानों को साफ सिलबट्टे पर पीस कर , उसकी लुगदी या पेस्ट बना लें | अब इस पेस्ट में 12 ग्राम शुद्ध गुग्गुल का चूर्ण भी अच्छी तरह मिला लें | अब इस मिश्रण को किसी खरल में डालकर 12 ग्राम कैस्टर आयल और 12 ग्राम ही गाय के दूध से बने मक्खन को मिलाकर अच्छी तरह से खरल करें | इसको खरल करने में काफी समय लगेगा | जब सब चीजें एकजान हो जाएं तब इन्हें सुरक्षित रख लें | इस तरह से आपकी औषधि तैयार हो जाएगी |
आप जब सुबह सुबह स्नान करें , उसके तुरन्त बाद ही इस औषधि का प्रयोग करना होता है | स्नान करने के पश्चात शरीर को किसी तौलिए या साफ कपड़े से सारे शरीर को पोंछ डालें | अब पहले से तैयार औषधि को छाती और पेट तथा आसपास के क्षेत्रों पर मल दें | इसके बाद 3 या 4 घंटे के लिए लेट जाएं | इस दौरान आप उठ, बैठ सकते हैं , और हल्के काम भी कर सकते हैं | जब लेप पूरी तरह से सूख जाए , तब फिर से स्नान कर ले |
इस प्रयोग को हर महीने लगभग 7 दिन प्रयोग करें | कुछ महीनों के बाद अगर आप परीक्षण कराएंगे , तो पाएंगे कि आपका ह्रदय रोग मिट चुका है | दोस्तों है ना असाध्य बीमारी का सरल और आसान उपाय , वह भी बहुत किफायती | इसलिए इस उपचार को अपनाएं , और हृदय रोग से छुटकारा पाएं |
बैठे हुए गले का एक ही खुराक में इलाज
किसी कारण से लगातार तेज आवाज में बोलते रहने से लोगों का गला बैठ जाता है | जिसके कारण उनकी आवाज साफ साफ नहीं निकल पाती है | इस परेशानी से दो चार होने वाला व्यक्ति , कई कई दिनों तक साफ आवाज में बात नहीं कर पाता है | यह परेशानी ज्यादातर नाटक के कलाकारों , गायको , भाषण देने वालों को अक्सर हो जाया करती है | इसके लिए हम आप को एक परीक्षित इलाज बताने जा रहे हैं | जिसकी मात्र एक ही खुराक में आपका बैठा हुआ गला बिल्कुल ठीक हो जाएगा |
उपचार
इस अनोखी दवा के लिए आपको पान के पत्ते , जिनमें डंडी भी लगी हो पांच नग इककट्ठा करें | इसके अलावा लगभग डेढ़ साल पुराना सौ ग्राम गुड़ का भी इन्तजाम कर लें | गुड़ डेढ़ साल से कम पुराना न हो | इस औषधि के लिए देसी बंगला पान के ऐसे ही पत्ते लेने होते हैं | यह पत्ता मोड़ने पर टूटता नहीं है | उपरोक्त औषधि बनाने के लिए ऐसे ही पान के पत्तों की आवश्यकता होती है |
अब हम आपको औषधि बनाने का तरीका बताने जा रहे हैं | सबसे पहले आप पान के पत्तों को किसी साफ सिलबट्टे पर पानी डालकर खूब महीन महीन पीस डालें | जब पत्ते खूब महीन पीस जाएं , तब आखरी बार में गुड़ डालकर भी एक बार पीस डालें | अब इस मिश्रण को 1 लीटर साफ पानी में डालकर , किसी लकड़ी की सहायता से पानी में मिला दे | इससे एक प्रकार का शरबत तैयार हो जाएगा | अब इस शर्बत को किसी पात्र में डालकर उबालना शुरू करें | जब पानी 200 ग्राम बचे , तब उबालना बंद कर दें , और ठंडा करके साफ बोतल में भर ले |
रात को जब सोने जाएं तब खाना खाने के लगभग 50 मिनट बाद बोतल में बंद औषध की एक तोला मात्रा पीकर सो जाएं | दोस्तों विश्वास करें , सुबह आपका गला खुल जाएगा और आपकी आवाज भी साफ साफ निकलने लगेगी | है ना अजब बीमारी का गजब इलाज |
दोस्तों आज के लिए बस इतना ही | आगे भी हम जब मौका मिलेगा तब फिर किसी दिन इसी प्रकार से इसी तरह की कठिन बीमारियों के सरल इलाज आपको बताएंगे तब तक के लिए , धन्यवाद प्रणाम नमस्कार |
जय आयुर्वेद
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