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\\ जीवनसंग्राम
में विजय प्राप्ति का उपाय \\
हमारा भूमंडल बहुत बड़ा है , इसमें अनेकों
प्राणी निवास करते हैं | सभी प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ मानव को माना गया है | परन्तु
इस संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है , जिसके जीवन में मुसीबतें न हों |
प्रत्येक प्राणी को अपने जीवन में विपत्तियों का सामना करना ही पड़ता है | क्योंकि
दिन और रात के समान ही कालचक्र सदा घूमता रहता है , जिससे आज कोई बच नही पाया है |
जिस प्रकार हर दिन के बाद रात आती है ठीक उसी तरह हर सुख के बाद दुख भी प्राणी केजीवन मैं आता रहता है | यह विपत्तियां एक प्रकार से
मानव के धैर्य साहस ,
सहिष्णुता और आध्यात्मिकता की परीक्षा लेती हैं |
जीवन के इस संग्राम में जो पुरुष अपनी
मुसीबतों का निर्भीकता और दृढ़ता के साथ मुकाबला कर पाता है , उसे ही इस जीवन के
संग्राम में विजय प्राप्त होती है , उसे ही सफल पुरुष कहा जा सकता है |
\\ हंसते
हुए सहज भाव से करें मुकाबला \\
कोई भी प्राणी अपने जीवन में आने वाली
विपत्तियों कि किसी भी प्रकार उपेक्षा नहीं कर सकता है | वास्तव में विपत्तियां
हमारी प्रतिकूलताएं हैं , जिनका हमें डटकर मुकाबला करना ही होता है | प्रत्येक
प्राणी जिन वस्तुओं की जिन परिस्थितियों में इच्छा करते हैं , वह चाहते हैं कि उन इच्छाओं
की पूर्ति भी उनकी आशाओं के अनुरूप ही हो , पर किन्ही कारणों से उन इच्छाओं की
पूर्ति ना होना पाना ही विपत्तियां जान पड़ने लगती है | हमारी आशा के विपरीत हमारे
स्वार्थ के स्थूल या सूक्ष्म जो भी रूप जीवन में सामने आते हैं , उन्हीं तथ्यों या
रूपों को ही हम विपत्ति मान लेते हैं | इसके निवारण का सरल उपाय यह है कि हम अपने
स्वार्थ , मोह , ममता , लोभ और धैर्य
को मर्यादित और संयमित रखें | ऐसा करने से ही हम इन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं | इसीलिए सादाजीवन बिताने पर जीवन से मुसीबतों की मात्रा कम हो
जाती है | इसके बावजूद भी अगर कुछ मुसीबतें शेष रहती है , तो हर हम वक्त उनका समस्यायों
और विपत्तियों का आसानी से हंसते हुए , सहज भाव से मुकाबला कर सकते है |
\\ घबराएं नहीं \\
अगर हम अपना जीवन सादा , स्वावलंबी और सही रूप
से बिताना शुरू दें , तो हम भविष्य में आने वाली छोटी तथा बड़ी विपत्तियों का साहस
के साथ मुकाबला कर सकते हैं | हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि कुछ मुसीबतें तो केवल
काल्पनिक होती हैं | जिनको तूल देकर हम बेकार में अपने चारों और भय का वातावरण न
बनाएं | किसी कार्य को करने से पहले उसकी पूरी रूपरेखा तैयार करने लेने पर हमें असफलता
का मुंह नहीं देखना पड़ता है | परंतु यदि मजबूर होकर हम बेमन से कोई कार्य करेंगे ,
तब ही सफलता मिलना ही संदिग्ध हो जाता है | अगर आप यह सोचते हैं कि सफलता आपके भाग्य मैं
लिखी थी | तो यह काल्पनिक विचार हैं | इसके लिए आप अपने भाग्य को दोषी न ठहराएँ | कभी-कभी
अतिरिक्त कारणों से या परिस्थिति से अनजान होने या अज्ञानता से या अनभिज्ञ कारणों से भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है | परंतु
यदि हम इन परेशानियों को ईश्वर द्वारा हमारी आस्तिकता , आत्मविश्वास , धैर्य और सहिष्णुता
की परीक्षा मानकर स्वीकार करें , तथा सच्चे मन से अपने कर्तव्य पथ पर चलें | तो इसमे
कोई संदेह नही कि हर व्यक्ति प्रत्येक मुसीबत का आसानी से हंसते मुकाबला
कर इन समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सकता हैं |
\\ साहस और संतोष \\
यदि हर मानव कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपना
जीवनयापन संतोषपूर्वक व्यतीत करता है | उस समय कोई भी मुसीबत उसका जीवनपथ बाधित
नहीं कर पाती है , क्योंकि ऐसा पुरुष इन सभी दिक्कतों को ईश्वरीय विधान मानकर
सहर्ष स्वीकार कर लेता है | परिणामस्वरुप उसके मनोबल में इतनी वृद्धि हो जाती है
कि वह कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति अर्जित कर ही लेता है | इसलिए
प्रत्येक परिस्थिति में अपने मन को संतुलित , शांत और स्थिर रखने का प्रयत्न करना
चाहिए | दूसरों के सुख को देख कर दुखी और बेचैन होने के बजाए प्रत्येक मानव को उन
अभावग्रस्त लोगों को देखकर संतोष करना चाहिए , जो बहुत ही अभावों में अपना जीवन बिता
रहें हैं | साथ ही यह भी सोचना चाहिए कि ईश्वर हम पर बहुत दयालु है , कि हम पर इन
लोगों की अपेक्षा ईश्वर की बहुत ही ज्यादा दया प्राप्त है |
\\
कमजोर न
बने \\
जीवन में किसी वस्तु का अभाव होना ही
विपत्तियों का मूल कारण है | इस अभाव के लिए दिन-रात चिंतन करना बेकार है | हमें
चाहिए कि हम इन विपत्तियों को प्रयत्नपूर्वक सुधारने का प्रयास करें, तथा
भरसक कोशिश करें कि कभी भी विपत्तियों से घबराकर , प्रयत्नों को छोड़ देने की बात
ही न सोंचें , बल्कि ऐसे समय में हमें दोगुने उत्साह के साथ उद्देश्य की प्राप्ति
के लिए संलग्न हो जायें | हमे चाहिए की हम जीवन की समस्याओं का हल अपने पड़ोस और परिवार
के सदस्यों से भी मिलकर भी करें | उनके प्रेरक विचार और बहुमूल्य सुझाव हमारी
कठिनाई को आसान कर देते हैं , जिसकी प्रेरणा से तथा आत्मबल से विपत्तियों का
निवारण किया जा सकता है | इसमें कमजोरी या कामचोरी दिखाने से हम सदैव अभावग्रस्त
ही बने रहेंगे |
\\ जीवन
संग्राम में विजय प्राप्त करें \\
उपरोक्त बातों का ध्यान देने के बाद हमें यह
ज्ञात होता है कि जीवन एक प्रकार का संग्राम है | इसमें विजय प्राप्त करने के लिए प्रत्येक
को अपने जीवन के कार्यक्षेत्र रूपी अखाड़े में निडर होकर युद्ध करें | जीवन में
सफलता पाने के लिए हर मानव को विपत्तियों को पराजित करना ही होगा | इसमें हमारा
पुरुषार्थ , सूझबूझ , दूसरों का परामर्श और मार्गदर्शन एवम् अपने आत्ममित्रों और
हितचिंतक द्वारा किया गया समाधान हमारा अवलंबन साबित होगा |
जिससे हम विपत्तियों पर विजय प्राप्त कर अपना जीवन सफल बना सकते हैं |
\\ इति श्री \\
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